Book Title: Agam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Shwetambar
Author(s): Rai Dhanpatsinh Bahadur
Publisher: Rai Dhanpatsinh Bahadur

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Page 240
________________ रायपसेगी। जाव सव्वालकार विभूसिएण सद्धि इ8 सट्टे फरिसम्व गधे पचविहे माणुसते कामभीए पच्चणुभवमागो पासिझमि तस्सण पदेसी पुरिमस्स कदड निवतेभासि अहण भते पुरिस इत्यत्यिणगवा पायत्यितूगवा सूलभिभगावा एगाहव्व कूडाइन्व जीविया उव वरो वेज्मा अइया पदेसी संयुरिसे तुम एव वएमा मागे तुम्हे सामी सुमुहूतग हत्यत्यिन्नगवा नाव जीवि आउववरोचेहि जावताव अइ मित्र नाइ नियगमयण सधि परिजगा एववयामि एव खल देवाणुप्पियापावाद कम्माइ समाय रिताति इमेयारुव भावय पावि ज्मामि त माया देवाणुप्पिया तुमे केदपावाद कमाइ समायरउ माण मेवि पवचेव प्रावय पावेजमामिय नहाया मह तस्सगा तमे पदेसी पुरिसस्त खरणमवि एवमल पडिसुझा सिनोइगण8 सम हि कम्हाण भते अवराहीगासे पुरिने ण्वानव पएसी तव अज्झते स्थैर्यगुणयोगात् स्थैया विश्वासको विश्वासस्थान सम्मत' कायकारणेन बहुमती बहुवेनाल्प तया मनी बहुमत । काय्यचियातस्य पश्चादपिमती बहुमत रत्नकरण्डक समानी रनकरण्डकर्वेदिकान्तेनोपादेय इति भाव" जीवितस्सवीए इति जीवितस्योत्सवइव जीवितोत्सव', सपन नीति पादूकाकूटनीपरि जीवितव्यधकी रहितकड गुरुकहयूछेहवै पदमी तैपुरुप तुमपनि इमकहर मकरउ तुम्हे इंस्वामी एकमुहूत्तीलगिसुझाना हाथ हतपगरहित मूलीदभेदनु जीवथकारहित मकरि जिहालगि प्रधान दू मित्रतपावावद जातितेपातिजहाऊपना भाइपुतादिकमावलादिक मुस्वरवर्ग दासदासीपतिजन्द्र मकडू दाइकारणदतिनिश्चय अहोदेवानुपियाडमइ पाप कर्म घया समाचरी नेमाट पहवी आपदाप्रति भूपामउछउ तेकारण अहादेवानुपियानु तुमे कोईरहवापाप कर्मपति समाचरउएललामतकरउमति तेहीपणि एणीपरि पापदापामउ निम दू सहने तुमेई प्रदेसी पुरुपनु सयमात्र एहवचनपति इमामल वलतुपदेसीकहानहीए अर्थ समर्थएनलइनेबदननमानजीवतु काहानमूगगुरुकहिनदस्यामाटइतेहनदक्षणमावजीवनुनमू कडबलनुपर्दसीकहद उली हेभगवनमाहरडअपराधी तेहपुरुषगुरुकहछैदूर्गदृष्ठातद हुएदेसी ताहरु प्रापितामहद्भुत पूणाज मयववाह गरी धमाहूतउ अधर्मित नसूधउ करभरपाजी विज्ञापति पुत्रवितर तेह यसाविकम्यता: उ पापकरीनकि अपनउ तेहनु पाञानउ पोवउडू नउ इष्ट बलभउबावृचना फूलनीपरिमाभलवुदोहिलू नुदेषवू महिथउ नेताहरपि

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