Book Title: Agam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Shwetambar
Author(s): Rai Dhanpatsinh Bahadur
Publisher: Rai Dhanpatsinh Bahadur

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Page 243
________________ २५० रायपसेगी। जाव अप्पा भावेमाणा विहरति सा तुम्भ वत्तया एसु बहूपुणो aar समजाणित्ताकाल मासे कालं किच्चा अन्नयरेषु देवलो एसु देवत्ताए उववन्नाती से अमियाए यहततुते होत्था इठेकते जीव पासण्याए तजण अभियामम आगतु एववइज्मा एव खलू नवूया अह तव तव अभिया होत्या इहेवसेयवियाण नगरीएर्धाम्मया जाव वित्तिकप्पे माणी समोणोवासिया जाव विहरामि तण्ण अह गोवय समजिणित्ता अन्नतरेसुदेवलोपसु उववणाततुमपि नतु या भवाहि धम्मि नाव विहराहि तउगा तुमविण्वचेवसु बहु पुगो aar समणिज्झित्ता जाव देवलोएम उववज्झिहिहिसि तजदूगा सा अभिया मम आगतु एववयापज्झातोण अह सहेज्झा पत्ति एज्झा रोज्झा जहा अन्नोजीवो अगासरीर नोतजीवो त सरीर परिणाम भावात घ्राणेन्द्रियस्य च तथाविध शक्ता भावात् तथापि ते श्रत्युत्कट गन्धपरिणामा इति नव जोजनेषु मध्ये अन्धान् पुद्गलान् उत्कट गन्धपरिणामेन परिनमयन्ति तेपि ऊई गस्त परतौ अन्यातेध्धन्यानिति चत्तारिपञ्च योजनशतानि यावत गन्ध केवलमूई मूई मन्दपरिणामी रतु तुहापणि एहज धणु पुण्यनुसच्चय ऊपाजा कोद्रक देवलोक देवपणिऊपाजसि तु तेह पितामही मुझन आवीन इम कहि तत्र हू सहहउ तुजप्रतीत यागु तुजचात्मानइविषद् वच जेहा अनेरज जीव अनेरउ सरीर नहीसरीरतेजीव श्रनिदीवर्तसरीर जेडकारण्ड पिता मही सुझने द्यावीन्द्र नएमकहती हूइ तेमाटर साचीमाहरी प्रतिज्ञा जिम सरीरतेहजजीव जीव जसरीर नही अनेर जीव पनेरू सरीर प्रदेसीइ द्रमकहापछी केसी कुमार श्रमण प्रदेसी राजाप्रति कम बोल्या विद्वान्द्र तुमे हेमदेसी स्नानकीधुवइधरनादेवपूज्याछद्र कीधारकोत्क मपीतिलकादिकमगलदधिपूवादिकर्तहान प्रायचित्तविधविधातवानि अथ भातुपट्टकपदस्युछद्र भृगार धूप कडक उन्हाय लाघुविएहवातुकप्रति देवकुलमा हिप्रवेशकरताथका कीइक पुरुष विष्टानड घरदू रहीमकहर श्रावुपहिलु हैस्वामी तिहाविष्टाघर महूत्तनगर बीसामउलेड अघवामूड ऊभार इस लीटर तेहतु तुम्हे हेप्रदेसी पुरुषन उक्षण मात्रपण्ड एहवचन सामनः प्रदेसीकes हेगूरकानेवचनसामलुनही गूरुकहिका साभले वलीप्रदेसीकही भगवड तेथानकच मूचिर दूकडउवलीगुरुमहद्रद्र इहष्टातद् हेमदेसी ताहरपणी आइदादीहू ती साज संथविवाद नयरीद्र धनाहूती पोस पडिकमण्डजकरीयावगुश्रात्माभावथवी विचरती तेह

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