Book Title: Agam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Shwetambar
Author(s): Rai Dhanpatsinh Bahadur
Publisher: Rai Dhanpatsinh Bahadur
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गयी।
तचैव ततेगण केमी
कारगण नोडवागच्छद्र भने मेचहानामए कई पुरुसे जाव सित्यवगण प्रभूपचक डम निमरित त हता पभुजति नते चेव पुपुरिमे वाले जाव मदविन्नागो पभूहोज्झा पवक उग निम रित ततोग अहमदेा २ जहा यगोजीवी तचैव जम्हागा भते सोचेवाले जाव मदरविणणे नोपभू कडग निमरित तापट्टिया पत्तिगणा जहा तज्जीवो कुमार समणे पदेखि राय एव वयामी पदेमी सानोम कंड पुरिसे रुजाव सिप्पोare नवण्य धनुगणा नविगाए जीवाण नवएण उमुणा पभृपचकदय निमरित्ततेहता पभृसो चेवगा पुरिसे तो जाव निरसप्पावगते कोरिल्तपणा धसुराणा कोरिन्तवाण जीवाए कोरिल्लण्ण उमगा प्रभृपचकडग तिसरितप तोतिगा कम्हाणभते तस्म पुरसम्म अपजत्ताति उनगरलाइ भवति पवा
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पु
९३७
तयाविधि
लापनमा सन्तोषयसि तथापि मन विषये भक्ति बहुमानञ्च कुर्वन् श्राद्यपुरुरव्यवाचना व्यवहारि एतावता च मुढतरायतुम परसीत कारयात्र प्रति घनेन वचमकालुष्य पाटित प्रतिभेदी मिलाप्रतिभेदी पवतमतिभेरी बाहरका मापि है प्रदेसी तिमनाव पद उपचुयुप्रश्न विचारपडीतमदनी गना मी कुमार यमप्रति पत्र बोल्यतकर हेपूज्य पत्रप्रन्नायकी बुद्धिवन उपमाहष्टात पथि कारपड जीता इन यादि हेपूज्य ते यथा नासवू को पुरुषचडतियोजन बनवत रोगरहित महित समर्थवलिविस्तारसहितायप्रति गघवा केमी समयं बलीमटेमीक जिम पूज्यतमतीररावा समर्थ निमतमपुरुषा वहिरीत विज्ञानी समर्थन तीरप्रति नोपवीत धूममामतीत सरकी पनेर भीत्र जीवनकी पनममरीन कार पेपूर तेज बाल निद्धि विज्ञानी तरुधोनापनि पचनाप्रति ताखवा तबका
व विज्ञान
प्रतिश
प्रतिनि
पुरुष
कुत्रा
पद्रवी प्रत्यवान बनी
शुरुरुरुद्र तेष्ठीज पुरुष तक
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