Book Title: Agam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Shwetambar
Author(s): Rai Dhanpatsinh Bahadur
Publisher: Rai Dhanpatsinh Bahadur
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रायपसगो। अडवि अणुपविट्ठात तेणसे पुरिमे तउ मुहुत्त तरस्स तिमिपुरि सागा असण साहिमित्तिकटू जेगोव जोड भावणे तेणेव उवागच्छा जोभायणे जोइ भाय विभावमया सति तगासे परिसे जेगोव सेक? तेणेव उवागच्छड २ कट्ठ सव्वतो समृता समभिन्लोए नोचे वण जाइ पासति ततेण पुरिसे परियसवध २ परमुगेगह तकट्ठ टुहा फालिवकरे २ सम्बउ समता समभिलो नाचे वणाच जोइ पामति एव जाव सखंज्म फालिय कोड २ सन्वर समता सममिलोए इनोचे वया वजेद पामति ततेपाते पुरिसेततिकट्ठसि टुहा फालिय सिवा जाव सखेम फालिय सिवा जोति अपासमाणे सते पुरिसते निविषणा समाणे पुरम एगते ण्डेति २ परियर मुयति एव बयासी अहोमए तैसि पुरिसाण असणेणोसाहिए त्ति
क्वटू उदयमणासकप्पे चिता सोगसागर सपविडे करयल पल्हत्व अस्यायमध', कल्पमितिच प्रादमाकाश्ये तत प्रकाश प्रभायां रजन्या फुल्लोत्पलकमल कीम लीन्मीलिते फुल्ल विकसित तच्च तत उत्पल तच्च कमलपच हरिणविप। कोमलकमठोर मुन्मीलित यथासख्य दलाना नवनवीश्च यस्मिन् तत्तथा तस्मिन्नध रजनीविभातान तर पाएर विपद अग्निबूझाइनु दहाथी तु काप्टमी अग्निप्रति लेद अहमाग्डकाजि अन्त राधे दमवहिवाट मी पटवीपाठा तिद्वारपहातह पुरुपपटवीनजाणहारनदू मत मद्रयरापीतहअलवीजागहार पुरुषानमन्तप्रतिराधु एहवुविचारी जिहा अग्नि भाजन् नविपइतिहाजाद्यग्निभाननन विपद अग्निबूडाणीप्रतिपतिद्वारपको तेह पुरुष जिहा ते अरणीकाप्टतिहाजाइजईन तहकाप्टप्रति मघछ हेठि ऊपरि भएपेर जीद नही कि हाद अग्निप्रति देषद् तिहारपछी तेह पुरुषपलवटवाध वाधीनदूफरसी ले तेहकाप्ट विहमकारद फालिया करद सघल सम्यगप्रकारद जीड नहीकि हा अग्निप्रति देपद एमद्रमणि च्यार सख्याता फालिया कहिकरी सघल कडीपरि जीड नहीं किहा अग्निमति देपद तेणड तेह पुरिपि तेह काप्टप्रति छिप्रकार फालीया इम बरिणवार सख्याता फालियाकरइधकई अग्निप्रति अदपतुघकउ थाउ विसपपगढ़ थाकु भागधकत फरसीपति एकातनापद्धपीतद पलवटमू कशेढ दूम बोल्यु अही इति दपमा तेह रुपीनद अर्थ अन्नराधिउ एहवुविचारी प्रावणहारसुझनेसरहिंद महणायउद मनतुसझल्पजपरी ठर नुक्तिवचनजेह एहउहु उधकुचिता अनसोकरूपीउसमूइतमीहिपाठ करतलजपरि

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