Book Title: Agam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Shwetambar
Author(s): Rai Dhanpatsinh Bahadur
Publisher: Rai Dhanpatsinh Bahadur
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रायपणी ।
उव्वावहि आउसे हि चाउमित्तते उत्वावयाहिं उद्धि सगाई' उद्दमित्तत्ते एव निव्भवणाहि निच्छोडणाहि तरण केसी कुसार समणे पटेसि राय एव वयासी जागासिण तुम्ह पएसी केइ परि मातोपन्नत्ताउ भत्त जागामि चत्तारि परिसातो पन्नत्ताउ तजहा खतिय परिसा गाहावति परिसा माहणपरिसाइसि परिसा जागा सिण तुम्ह पएसीरायासि चउगह परिसाण कस्सकाद ड नीती पन्नत्ता हता जाणामिजेण खत्तिय परिसाए श्रवरव्भ मे हत्थ या एवा पायत्विगएवा सीसरिगएवा मूलातिगण्वा सूलभिन्नाएवा एगाहवे कुडाहब्वे जीविताड ववरोविज्जावे जेण गाहाबद परिसाते अवरख्भतिसेण ततेण वा वेढेण वा पलालेग वा वेठित्ता अगणि काoण जामिनद जण माहणपरिसाए अवरज सेण अरिगणद्वाहि अकताहि जाव अमणामाहि वगूहि उवालतित्ता कुडि चालण एवा सुगगलछणएवा कीर निव्विसएवा आणविज्जर जोड
सूरे आदित्वे सहस्ररस्सो दिनकरे दिवसकरणमीले तेजसाक्ष्वलिते रेरिज्झमाणे इति हरिततया देदीप्यमाने मातुमे पुत्व रमणिके भवित्ता पच्छा श्ररमणिज्भी भविज्मासि इत्यादे स्था टेमप्राप्ननडमुझपुहिप्रत्यक्षमोटा महापूज्यपरिपदानदूमाहिउ वइनाचदूचक्रासवचनिचक्रीसबूक मतियुक्तउचनीचइउड पनाइ तिरम्वारववनिउई पबुनिरह्यारकरिवुण्मजनिक वचनइनिन्द निछोडगा होलानी निछोडवु हीलवु राजाइमकहापछी केसी कुमार श्रमय प्रदेसी राजापूर्ति इम बोल्या जायइइइ तुम्हे हेप्रदेसी केयला परिपदा कहीं राजाकहिछि पूज्य हू जागु च्यार परिषदा कही तेकहदूदू एकचविवनी परिषदा १ बीजागाथापुतिनीव्यवहारी यानीपरि पदा वीजाह्मणनीपरिपदा चुधाचपिनीपरिपदा राजाइमहापक्षैकगुरुकक्कद्र नायिकड तु
देसी एक चिह्न परिपदा माहि केहनद्र अपराधी पुरुषनद्र कूलदडनीति कही राजा है हू जागनिकी चवियनीपरिषदानविपद् तेहन हस्तक्रेदकरी एतल हाथछेदी अथवा पाट छेदपगरीष मस्तकछेदवर मूलाइपहूचाडवु सुली छेदवु एकया सिखरनीपरि guise aarat रहितकीज जिकोद्र गाधापतिनी परिपदानविषत्र अपराधकर तेहनदू तृणन बेटवइकरी परालइ करी वेढीवाटी अग्निकरी बालीनइ नेह नाह्मपनीपरिपers ruinnes तेनद्र चवाश्वद्रवचनिकरी अवल्लभवचनिकरी चमियवदनिकरी श्रमनोज्ञाद्र वचनकरी उलबु
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