Book Title: Agam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Shwetambar
Author(s): Rai Dhanpatsinh Bahadur
Publisher: Rai Dhanpatsinh Bahadur
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२५८
रायपसणी। मेव पएसी सोचेव पुरिसे बाले जाव मदविगणा अपम तोवगरण नोभूपचकडग निसरित्तएत सद्दाहिण तुम्ह पण्सी जहा अन्नो जीवो तव ५ तएण पण्सीराया केसी कुमार समण एव वयासी अधिण भते एसापन्नात्तो उवमाइमेण पुणकारगोण नाउवागच्छद्र भते सेजहाणामए केइ पुरिसे तरुणे जाव वसिप्पोवगए पभूएग मह अयभारगवातउयभारगवा सीसभारगवा खारभारगवा परि वहित्तत्तं जडण मते सोचेवण पुरिसे जुगो जज्जरियदेहे सिढिल वलितवाए विणट्ठगत्तण दडपरिगय हत्ये पविरल परिसडिव टत सेढी पाउरिण पिवासित्त दुव्वले छूहा परिकिलते पसूएग मह अय भारवा जाव परिवहिततेतोण सद्दहेज्मा २ तहेव जम्हाण भते सोचेव पुरिसे जुणे जाव किलतेनोप भूएग मह अयभार वा
जाव परिवहित तम्हा सुपइडिया मेपत्तिगणा तहेव तएण केसी तदयवीत परमचमान्तीपम्प्रापित इति । हन्तापएसीहत्यिस्स कुन्युस्सयमेवे च जीवे इति प्रदेशाना तुल्यत्वात् केवल सकोचविकीचधम्मत्वात् कुन्युशरीर सब्कुचिती भवति इम्तिशरीरी विस्तत उक्तञ्च पासाज्य कुन्थुदेहन्तत्तिमित्तीगम्मिगमित्ती, नयसक्षुज्झदू जीवी मष्कीचविकोच जीवखाधीन प्रत्पचा जीवपाधडू बाण समथहदू पचबायप्रति नापवा प्रदेसी राजा कई तरुणुपहुषपणि अतिधनुबइबाण नापवासमर्थनही गुरुकहडछदः स्यामारइतरुणनरलू नदधनुषहवा दइनापवासमर्थनही राजाकहडछद्र हेयूज्य तेहनावमयापुरुयनी अपजायतां अधूरा उपगरणछद्र गुमहदूदू एणहष्टात हेप्रदेसी तेहीज पुरुष वाल्यु निर्वृद्धि विज्ञानरहित पूरा उपगरण इद्रिय बलजुधिनधीतेमाटदतरुणीपरि नही समर्थ पचवाण नापवा तेणइकारण सहहत तुम्हे है प्रदंसी जिम सरीरथकी अनैरउजीव अनजीवथकीए अनेकमरीर एहपाचमुप्रश्न ५ निद्वारपछी है प्रदेसी राजा केसीकुमार श्रमणप्रति एम बोल्यु छ हेपज्य एह प्रनायकी उपमाहाटातपाद पणि कारण तेत जीवतत्वमाहरदहीनवाइ हेपूज्य तह जथानीमद कोइक पुरुषतरुपउ नीगंगवुडिवत विज्ञानसहित समर्थदू एक मोटा लोहमारप्रति यघवा ताउ अाजाभारप्रति सोसानाभारप्रति लुगादिकसारनीमारप्रति वहवीन नउ पूज्य तेहीज पुरुष जुनउ जाजरी देखजुधणो सिविलदेहमाट लीलरीवली तीतकरीवीटउछद्गाउ अगहनु दडहिउछद हाथ विरलायद पडी दतनीथेणि जैहनी मदवाडीउ वस्यउ टुबलु भूव करीग्लानपणछ

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