Book Title: Agam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Shwetambar
Author(s): Rai Dhanpatsinh Bahadur
Publisher: Rai Dhanpatsinh Bahadur
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रायपमणा।
चैवगा तीसे आवाकुभीए केडछिडडेवा जाव गतीवाजउगाते जावा वहियाहि अतो अपविट्ठा जातिगां तीसे अपोकु भा होज्मा के छिडवाजाव अणुपविट्ठा तोगा अह सद्दहेज्मा जहा अन्नोजीवो तव जम्हाण तीमे अयोकुभीए नस्थि के छिड्डे वा जाव अग्णप विट्ठा तम्हा सुपतिट्ठियामे पणा जड़ा वज्झीवो तं सरीर तचैव ततेग केसीक मार समणे पतेसि राय ण्ववयासी अविण तुम्हे पतेसी राया अय धत पुल्वे वा धम्माविपुव्वे वा इता यत्यिमेनूण पएमी अयोधते समाणे सव्वे अगिापरिणते भवति इता भवति अत्थिण पदेसी तस्त अवस्स के इछिड्डे जाव राइवा जेगसे जोड़ वहिवाहिती अतो अणुपवितुनो इ8 एवामेव पएसी जीवेवि थप्प डिहय गई पुढरिभिव्वा सिनभिच्चा पव्वय भिच्चा बहियाहि अगा पविएस तसदहाहिण तुम्ह पएसी तहेव ४ तएगसे पदेसी राया कोमिक मार समण एवववासी अस्थिया भते एसीपन्नत्ता उवमाइ
नीयम। देणामेगणीसपद इति । तदातिदान प्रयबुति न मजपयति न सम्यगालापेन मनीषयति चतभागका पाठ सिद्धा, एवामेवपएसिउमपियवहारी इति यद्यपि वन सम्यग परि देपतउहुउनधीसही ठाणीद लीइकु भी कोछिडू तयाविवर राद जेणइछिद्राकरीजीव बाहरिपकी कु भीमाहि पहा जर तीणीद लीह कु भी इतर कोइछिद्र तथारा नेपक्ट्रिदू बाहिरिघकी जीवकु भीमाहिपट्ठा तउडू सहइतमानत जेब मरीरथकी पनेरु जीवनइलीव कीमीरनेसपर्वनीपरिजणकारण तेणी लोहकु भीर नथी को छिद्रराजेणछिद्रदकरी जीवबाहरिथकी कु भीमाहिपदठा तेगकारण साधामादरी प्रतिज्ञा जेहसरीरतहजजीव जीव तेसरीर पूर्वनीपरि प्रदेसीइमकहीपछी कैसी कुमार श्रमण प्रदेसी राजामति इमवोल्याछ किवा रख तुह्यो प्रदेसी राजालीहधम पूर्वद अथवापरापाहिधमा पूर्व केसीगुरेकहु शकतिलाह दीवउछप्रदेसोकहिहाभगवनलीहधदोवउछद बलीप्रमहरका अस्तिछद्र तेहसाच हेमदेसी लोह धमउ धकु सघल अग्निकरी वीप्त हुए प्रदेसीकहइदहाभगवनहलोधमुथकउसगल अग्नि गप्त हुट गुमकहछ हेप्रदेसी तेहनदू लोहन कोदछिद्र विवर राइ जेणइछिद्रिकरी तेह न बाहरिथकी लोहमाहिपाठउ प्रदेसीकहछडएसावुतण्डलीकडूनधी एवलीगुरुक हद
हेप्रदेसी जीवपणि असवलितगतिछदणीइसकडूनहीजीवनीगतिकवीकडू प्रथवी

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