Book Title: Agam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Shwetambar
Author(s): Rai Dhanpatsinh Bahadur
Publisher: Rai Dhanpatsinh Bahadur
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रायसेवी ।
अन्नयाकयाइ जेोमेव सा अडकू भी तेमेव उवागच्छामि तेगोरत्ता ततो कुभी उग्रनत्थावेमि उगलत्थावेत्ता त पुरिस सयमेव पामा मिनोचवा ती अयोकुमीय केती किड्डेदवा विवरेतिवा रातीवाज उगा से जीवे तोहितो वहितो वहियानिग्गते जण भंते तीसं अयोकुभीते होज्झाकेती छिड्डेद्रवा जाव रातीवाजउपासेजीवे अतेहि तोनिगते तोगा अ सह हेज्झापत्तिएज्ना जहा अन्नो जीवो अन्नं सरीर जम्हाण भते तीसे अयोकु भीते नत्थि केतिछिड्डवा जाव निग्गते तम्हामुपट्ठिट्टिया मे पतिन्ना जहा तजीवो तसरीर नो अन्नो जीवो अन्न सरीर ततेा कंसीकुमार समणे परसि राय एव वयासो सेजहानामए कूडागार सालासिया दुहते जित्ता गुत्तागुत्त दुवारा निवायगभीरा ग्रहण केद्रपुरिसेभेरिव दडच गहाय कूडासान घता २ अणुपविसति अणुपविसित्ता तीस वृडागार सालाए सत्वर समं घाघणनिवय नित्थिडाइ दुवार वयणा पिधेति २ तीसेकुडागार रचका, नगरगुत्तिया इति नगररक्षाकारिण । स सरक इति समाधि सहाद सलोट् सगवेच्य वानि वह किञ्चिए लोघुमित्यर्थ', अवाउड अमावृत्त बन्धन वड चौरमिति मेरि दण्ड चेति थकी बाहिरनीवाटियई बाहरिनीकल्यु जड हेपूज्य तेजीइ लोहकु भीटू इतर कादू हिदूतघा राइ जेयिकी तेह जीव माहिथकाबाहरी नीकल्यु तक हू मद्दहि तर प्रतीति श्रागतज जेह अनेक जीव अनेक सरीर जे कारणद्र सेपूज्य तेषी लोहक भीड नयी कोइ छिद्र बिवर राष्ट्र जेणीवार यह जीववाहरि नीकाल्यु तेाइकारसु प्रतिष्टासाचीमारि प्रतिज्ञा एतल इम मत्तखड तेजीव तेसरीर नही रु जीव अनयू ने सरीर प्रदेसीराइक हीकी केसी कुमार श्रमा प्रदेसि राजाप्रति इमवोल्या तेहययानदृष्टात सिखनद्र आकारिमा लातेकूडागारसाला साली बाहिरि बिहूमकारिलीपीद्र चुपपेरगटकडद्र कमाडजडीहूद्र माध्विायनुप्रवेसनहूड निवास हूताथकीगभीरउडाहूदू हिवदू की इकपुरुषमेरी दोन अनइदडप्रति ले तेहसालान माहिर पैस usसोन तणिइ सालाइ सघलउ सवथापि भाजइनहीपाटीपानाउतरारहित छिद्ररहित कमाङद्वकरी बारणानीमुहढाकइढाकीनइ तेह मालानद्र धणु मध्य देसभागइ रहीतडतेह भारी प्रतिदssकरी मोटर सब्दकरी बजडीर वेहतानु हेप्रदेसी सब्द मालामायिकीबाहरि नीक लम केसीगुरकहिधकि राजाकहदूद्दाभगवन ते सब्दवाइरिनीकलदू क्लीकेसीगुरुक हडकर
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