Book Title: Agam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Shwetambar
Author(s): Rai Dhanpatsinh Bahadur
Publisher: Rai Dhanpatsinh Bahadur
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रायसेपी |
इए निज्झसि कम्मसि यखीयसि अवेयसि अणिज्भिमि इत्यति माणूस लोग दव्वमागच्छित्त नो चेवगा सचापति एवनिरयाजयसि कम्मसि अक्वासि अवेयसि श्रणिजिसि इच्छद्र माणूस लोग मागच्छत नोचेवा सचाएर हव्यमागच्छित्तर दूरचेहि चहि ठाणेहि परमी अगीव वणे नरण मुनेरद्र इत्यर माणुस लोग नोचैव मचाए इहव्वमागच्छित्तते त महाि तुम पदेसी जहा अनोजीवो अन्न सरीर नोतच्छीवो त सरीर लोगा से पदमराया केसीकुमार समण एववयासी अस्थिया भने एसपरणा तो उसे पुकार गोगा गोडवागच्छद्र एवखलू भने मम यमिया होत्या इवे सयविद्यानगरीए धम्मिया जाव धम्मेण चैववित्ति कप्पेमा समणोवासिया अहिगयजीवा २ सव्वोवरागाउ
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aarur देव इत्यादि सुगम नवर उतारि पञ्चवालीययसए असुभ गन्धिदवद दूति दृष्ट यद्यपि नवी योजनेभ्य' पुरती गन्धमुद्दला न धार्मेन्द्रिय ग हायोग्या भवन्ति युगलाना मन्द
उपलु नरकद्रनारकीवा मनुष्य लोकप्रतिपणि नसकद्र सीघ्र भवीन तेयाहूकारणइसहइ तुसा Tarafa Treat जेह पनेरुजीवधने सरीर नहीसरीरतेजीव बनइजीवतेसरीरमाथिप्रतिप्रथम मन इसकसीगुरुकयापकी मदेसी राजा केसीकुमारश्रमणमति एमबील्युकद्र हेभगवन पद प्रजा Eat afsaavat उपमाहष्टातकदूत्र वलीकारणइतर माहरदूहिययेनावर एमनिश्चय हेपूज्य माहरा बापनीमाता हूती टू हान सेयवियाइ नगरी धर्मकरीविचरतेधार्मिधर्मिष्टधर्म मfतकरी प्रजाविका करताथका यताते हनीसिवानी करमहारते श्रमणोपासक जाणीकडूजेपाद्र जावर अजीवादिकनवपदार्थ श्रावक नुवण कजि हालगिपोस हापडिक्रमणातपसनमत्र दानपुण्यद्र करी आपण उद्यात्माभावथको विचरर तेह बाजीचारी वक्तव्यताद घसु पुण्यनउ सवय surat कालसर कालकरी कोइक देवलोकनदूदिप देव अपनी तेन दादा हू पोटानउबेद नूत इष्टवल्लभ इमनुते सर्वपाठकहिव तेमाहरइनाम डर लायायतयायतु देव arthasarda दादी सुमनइ चावीन इमकवितेकडछे ण्म निश्चयपोवा हू ताहरी आद पितामदी छूती हा सेयविवाद नगरी घमाहूती धमिष्टा धर्मना चाजीविकाकरताथका श्राविका पोसापक्किम यादिककरतीविचरती वेषधर्म करीतू पुण्यन सचय उपाज्ञान कोइक देवलोकदेवयसुकपना विकारणितुहापणि हेपीना चाइ धम्मा धर्मना चञ्जीविका विच

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