Book Title: Agam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Shwetambar
Author(s): Rai Dhanpatsinh Bahadur
Publisher: Rai Dhanpatsinh Bahadur

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Page 208
________________ रायपसेणी। त्विमिव समिद्धा जाव पडिसवा तीसेण सावत्यिए णगरीए वहिवा उत्तरपुरसिमे दिसीभाए कोढाए णामचेदए होत्या पोराणे नावमुरम्मे पासादीए दरिसणिज्में तत्यण साववी ते गयरीए पएसिस्सरणो अतेवासी जियसतु णामराया होत्या महया हिमवत जाव विहरई तएणं पदेसीराया अगणया कयाइ महत्व महग्ध महरिह विउनराया रिह पाडुड सज्झाचे चित्त सारहि सदावेद २ एव वयासी गच्छणा तुम्ह चित्तासादस्यि गगरि जियसतु सरगणो इममहत्य जाव पाडुड उवणेहि जाइ तत्थराय कझाणिव रायणिगुत्तेय रायववहारयताइ जियशवूणासद्धि सयमेवपन्बूवेक्खमाणे २ विह राति तिक्कट्ट विसज्मत तएगासे चित सारडीपएसि गारपणा एववुत्ते समाणे इट्टतुहजाव पडिसुणित्ता त महत्व जावपाहुड गिपद पएसिस्सरगणा अतियाउ पाडिणिक्खमद् पडिणिक्ख धियारे)इति वितीर्णी राजानुज्ञाती विचारी अवकाशी यस्य विश्वसनीयावात्म वितीर्णविचार सर्व कायादिवति प्रकृत कि बहुना राज्यधुराश्चिन्तकश्चापि राज्यनिवाइकश्चाप्यभूत् (पएसिस्सरसी इन्तवासी)ति ममी वसतीत्येव शीलो अन्तिबासी शिष्य', अतिवासीय सम्यगाजाविधायी इति नाम देस द् तर कडिवतभवनहकरी भयरहित धनवत तिहाँ कुणालादेसन विपद सावथा नाम भगरी ती मोटापावासहित भयरहित धनवती नगरीनुजयाकच पानीपरिमाण भन्नु रुपछद्र तह सावत्या नगरीन बाहरि इसानगडू भागि कोष्ट नामचेत्ववचनुप्रसाद हतब जूता प्रयभद्रचैत्यनीपरिमाणवउ रमपीक चित्तनप्रसन्नकरडछदू जीडवायोग्यश तिहा सावधाद नगरी प्रदेसानु राज्ञानु सिप्यनेनाइगद्याज्ञाकरीरत्तथ नितशतु नाम राजादू तर मोटर हिमवतपर्वतसरिपु राजबर्गकसवकरिनुकुणालादिसपालनउथकु विचरा तेह प्रदेसीराजा अन्यदाकिवार मोटउअर्थसुवादिकाछज्ञिहा मीटीपूजाकनिहातेमहध्यवर मुल्य मोटान योग्य विस्तीर्ण राजा न योग्य प्रभतिकमेटणउ सज्जकराव चिवसारधीप्रति तेडावद तेडावी गएम बोल्य जाउ तुम्हे हे,चिन सावधी नगरीप्रति जितभव नह राजाना मोठउध बहुमूल भेटन पूछतीकरउ जे विदा जिकोइराजाकार्यहूदू राजानदू गोपतिवावीग्यपतलह बांता राजानुव्यवधारनुयाविवुजावू जादवइजितसबुराजासाथ पोतडज जीयतउयकर विचरा दमकड़ी मीकलठ तिहारपछीवह चिवसारी प्रदेशी राजार एमकहि धादू हपसतीष हाच

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