Book Title: Agam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Shwetambar
Author(s): Rai Dhanpatsinh Bahadur
Publisher: Rai Dhanpatsinh Bahadur

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Page 228
________________ रायपसेमी। २३५ प्पिय मिग आसु पखि सिरीसिवाण तजहणा देवाणुप्पिया पदेसि म्सरपणो धम्मामाइ खेमा वहगुणत्तर फलहोज्झा तेमि वण ममणा साइण भिस्वूयाण तजण देवाणुप्पिया पटैमिस्स बहू गुगणतर होत्था जणवयस्स तएण केसीकुमार समणे चित्त सारहि एवखलु चहि ठाणेहि चित्ताजीवाकेलि पपणते धम्मणोभेमा सवणयाएत धारामगववा उज्माणगय वा समण वा अभिगच्छति णोवदति णोणमसति गोसक्कारति गोसमाणेद् गोकल्लाण मगल देव चेदय पिवपन्भवासति णोअट्ठातिईऊद पसिणाति वा गरणाद पुच्छह पएगा वाणेगा वित्ता जीवे केवलि पपणत्त धम्मणोलमति सवगायाए सवणवाए उवस्सयगाय समणा वा तचेव जाव पएण वियहाणेण चित्ताजावे केवलिपरागत धम्म गोलभति सव्वाणयाण गोयरग गय समण वा जाव योपज्भवासद् णोविउलेगा असरण कसद इत्यादि काहति प्राथयते । प्रहत अभिलपीति चावारीप्येकार्थ । (चउहि ठाणेहि) इति आरामादिगत थमयादिक नाभिगच्छतीत्यादिक प्रथमकारणम्। उपाययगत नाभिगच्छतीत्यादि चतुष्पद मृग पसू पनी उदिस्तुलादिकनइएतलइतुमीप्रदसीराजाजीववधधकानिनिवच्चसतमाटर विपदचतुपदनघणाउपगारघास तेमाटजतुम्हेदेवानुप्रिया प्रदेसी रायन धर्मकहस्यउ तर घागुणदूसद् तेहथकीभलु फलहामवली तेषणानदयमस्यादिक ब्राम्हणध्वनादिक तथाभितूक भिनाचरनद घणु गुणसवकतेमाटजेट भवार्थपूर्ववर्तमाटरजेट हेर्दवाणुप्रियतुमे प्रदसीराय नद धर्मकहसुनु घणुगुण होस्यद वलीपोतानादेसनपपिघणुगुणहोस्यधर्मसाभलीप्रदेसीपोताना देसनविषयकरभाकरउ नहीप्रवत्तीहवचित्र द्रमकहीपलीकेसीकुमार थमण चिवसारथीप्रति दम अमुनाप्रकारदनिश्वा चिडू ठाणेधि इचिव जीव केवलीनु भाष्य श्रुतधर्मप्रति नपामद मामलवु कहकद पुरुपस्वीनदरमवानुठामतेधारामतिहापु जनी नगरीसमीपवति वनठत उद्यानतेतिहांपुस्ताद थमणतपस्वी जीवनदू महणुदमकहतेमायएतलइपचमहावृतधारन बाद अनदहाथनजीडमस्तक नृनमाउद नयादरदेड तुचितसेवाकरड नहीकाल्यापारपत्र मगलीकोतु देवसबधिप्रतिमानीपरि सेवाकर नहीअर्थन्नाथं हेतुकारय पश्च संगीन व्यारका प्रति नपुछएणर कारण इचिव जीवकेवलीकारण धर्म अधर्म नमार रख इनिमयमकारण उपाययपुछूता यतीप्रति तिमनपूर्वनीपरिनमस्कारकरा प्रमादिवान दणकारणदुई चित्तजीव केवलिभाषित , सभिलपीजकारख ओन्दरी .

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