Book Title: Agam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Shwetambar
Author(s): Rai Dhanpatsinh Bahadur
Publisher: Rai Dhanpatsinh Bahadur

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Page 229
________________ २३६ रायपसगा। पाणखाण साइमेण पडिलाभेद्र णोअट्ठाइ जाव पुच्छति एएगा चिट्ठाणेण चित्ताजीवे के वलि पण्णत्तधम्म गोलभद सवणयाते जस्थवियण समणेण वा माहणेगवा सद्धि अभिसमरगच्छद्र तत्व वियण हरियण वा वघेणा वा अप्पाण श्रावरित्ता चिट्ठद् एण्णाट्ठा णेश कवलिपपणत्त धम्म गोलमद मवणयाते एएहि चउहि ठागो हि जीव के वलि पणत्त धम्म गोलभइ चित्ता चउहि ठाणेहि जीवे के वलि पपणत्त धम्म लभद्र स वणयाए तजहा बाराम गय वा समण वा माहणा वा वदद् णमसह नाव पज्मवाति अट्ठाइ जाव पुच्छदए एणहाणेण चित्ता जाव लभति स वणयाए एव उव स्मय गय गोयग गय समण वा जाव पजमवासति विउलेण जाव पडिलामेति अट्ठार जाव पुच्छद एएण विधत्व वियण समगोण वा महणेगवा अमिसमागच्छद्र इतत्व वियण गोहत्येण वा जाव आवरेत्ताण चिट्ठद् एएण विट्ठाोण चित्ता जीवे के वलिय परमत्त द्वितीयम्। प्राविहारिक पीठफलकादिनी मन्वयन्तीत्वादि तृतीयम्। गोचरगत नाशनादिना प्रतिलाभयतीत्यादि चतुर्थम । एतैरिव चतुर्मि स्थान केलि जप्त धम्म लभते श्रवणतया यतीतप्रतिवाद मनही मेवानकर विस्तीण असनअनादिक प्राणीखादिममेव सादिममुपवाम ते गुइकरीप्रतिलाभेनदेइत्यर्थ अथर्हतुप्रति पूछणइकारण इस्थानक हेचिव जीव कंवली भाषित धर्मनपामद साभलवतीजकारण जिहा श्रमणनद साप्माहरणइयतीन साथि मिल वुथाइ तिहापणि साथ करी वरवद करी आपणाघात्माप्रति ढाकीनद रहद वादनहीआहार पाणीतदेणकारीण हैचिवजीवकेरलीभापित धर्मसूत्र नपामह साभलजइतिच उथाउकारण गइ चिहूइ कारण हेचिवजीव कैवलीभापित श्रुतधर्म नपामद बिहेवित विहूइकारयद जीव कैलोमापित धमय तधम यामद साभलबुतेकइइछद्र आरामद पुरता थमण माहणपति बाद नमस्कार कर सत्कारटेइ सेवाकर अर्थ हेतुप्रति पछदू इयइकारमाइ हेचिवजीव धमपामद साभलवुप्रथमकारण उपाययपहतायतीनवादप्रश्नपूछबीजुकारण गोरवरी पतानड यतीप्रति बाद सेवाकरद प्रामुक विस्तीर्ण आहारपाणीद करी प्रतिलाभ इत्यर्थ टेअथ हेतु प्रतिपुछद एणइशारणइधम्मपामहनीजुकारण जिहापणिथमण मायनसायद मिलवुधाइ तिहापणि नहीहाथइथादू वम्बदाकरी थापणा आत्माप्रतिढाकीर हद पण दूनहीकारणद्र

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