Book Title: Agam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Shwetambar
Author(s): Rai Dhanpatsinh Bahadur
Publisher: Rai Dhanpatsinh Bahadur
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रायप सेषी।
धम्म लभइ सवणए बाए तुम्हा चित्तापएसीराया आरामगय वा add सव्वभाणिचव्व आइल्लण्ण गमपण जाव अप्यागा श्रावरे तागण चिट्ठति त कह तु चित्ता एसिम्मरको धम्ममाइखेमामो व ते से चित्ते सारही केसिकुमार समण एववासी एव वन्लू भते earners कोहि चत्तारि आसाउवधय उवणीयाते मए एएमिस्सरणो भगायाचेव विगणया त एया खलभतेकारण यह एसिसगगा राय देवागुप्पिया अतिव व्व माणसामोत Ferr देवाणुम्पिया तुमेपसिस्सरणो धम्ममाइखेा वदेण भते तु पएसिस्सरपणो धम्ममादखेज्मा ततेगा केसीकुमार समो चित्त सारहि एववयासी अविताति चित्ता जाणिस्ममोत तेासे चित्ते सारही केसीकुमार समया वदइ रामसति २ जेगोव चाउघटे आसरडे तेणेव उवागच्छद्दर चाउघट आसरह दुरुह जामेव दिमि
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श्रवणेनेति भाव | जत्थविययमित्यादि क्वापि श्रमण साधुमात परमगीतार्थ श्रावको अभ्या गच्छति तत्रापि हस्तेन वस्त्राञ्चलन कवेय वात्मानमावृत्य न तिष्ठति इट प्रथम कारयाम एव arraft कारन प्रत्येकमेव भावनीयानि तुब्भचणचित्ताए सीराया चारामगय वात चैव मध्व
हे चित्र जीव केवली भाषित धर्मते मूत्रपामदू साभलवु चडछु प्रकारण ४ तुम्हारउ हे चित्र पदेसी राया चारामपहूताव तीन वाद पूर्ववत कहिवड पहलइ पालव जिहालगि पशु आत्मा ढाकान रहनु किमनुवितक्वे होचिव प्रदेसी गयनदू धर्मप्रति कभू तिब्भारपकी तेष्ठ चित्र सारथी केसीकुमार समग्य प्रति इमबीलु श्रमुनाप्रकारनिश्चय हे पूज्य चन्यदाको कसमइ क्वीज देसन लोकइ स्यार घोडा वेठिमीरूप जाए पीक तम प्रदेसी राजनइ कोडकसम जगाया ऋ तेह निश्चय हेपूज्य हडपा हू प्रदेसी राजाप्रति तुम्हार समीप शीघ्र श्रयणस्यु माटर ही देवाणुप्रिया तुमे प्रदेसी रायनदू धर्मकहिवु मननद पद नहसकप हे पूज्य तुम्ह प्रदेसी राजद्र धम्मं कहिवु तिहारपछी केसी कुमार श्रमय चित्र सारथी प्रति इम बोल्या अपितश्च ये है चित्र जाणीस्स तिहारपकी चित्र सारथी केसीकुमार श्रमण प्रति वाद नमस्कारकर जिहा चतुधट घोडचहिलि तिहा जाइजइन्द्र चतुर्धट अश्वश्व वढदू नेहद सिथी प्रगटहूड हू तू चाकू तेहदमिप्रति ऊपगदायु तिहारयकी ते चित्र सारथी कालि प्रकाशरुपप्रभातनारावि

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