Book Title: Agam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Shwetambar
Author(s): Rai Dhanpatsinh Bahadur
Publisher: Rai Dhanpatsinh Bahadur

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Page 237
________________ रायपसमा २४४ पटेसीराया कोसिकुमार समण एववयासी अहम भते दुई उव विसामि पदेसीसाते उज्माण भूमिए तमसि चेव जाणते ततेगासे पदेसीरावा चित्तण सारहिणा सद्धि के सिक मार समणस्स अट्टर सामते उवविसतिर केसिक मार समण एव बवासी तुभेण भते समणाण निग्गधाण एसा सणाए पतिणाए सादिवाए सामई एसहेज एसउव एससकप्पे एमत ला एसमाणे एसपमाणेएससमोसरणजहा अपणोजीवा अपणा सरीर नोतजीवो त सरीर ततेगी के सीक मार समणे पदेसि राय एववयासी पदेसी अम्ह समणाण निग्गधागा एसासगणा जाव एस समोसरणी जहा अनोजीवो अनसरीर नोत च्छीवो तसरीर तथा पदेसिराया को सिकुमार समणे एववयासी जतिण भते तुभ समणापा निग्गघाण एससणा जावएस समोस रणे जहा अणोजीवो अण्ण सरीर नोतजीवो त सरीर एवखलु मम गुन्य गौरवभयात्तु न लिख्यन्ते, केवल' तट्टीकेवावलोकनीया तस्यां स प्रपञ्चमस्माभिरभिधानात् तुभयभन्ते समणाण णिग न्याण एसा सपणा इत्यादि। मञान सज्ञानसम्यग्ज्ञानमित्यर्थ । एषैव प्रतिज्ञा निश्चयरूपोऽभ्युपगम' । एषा दृष्टिदर्शनञ्चतत्वमिति भावः । एषा रुचि परमविपद जाणउ वइसउ अथवानद वैसुएहबूसाधूकहिवानु माभगुणीही सावत्थपणामटर तिद्वार पछीतेहप्रदेसीराजा चिवनद' सारथीइ साथि केसी कुमार श्रमण प्रतिवेगलुनही अतिढुकरुनही सामय छर सह बैसीनइ केसीकेमार थमण प्रति इमबोल्य तुमारी हेभगवत श्रमण निर्गन्थना एहज सज्ञासम्यक ज्ञान एहजप्रतिज्ञा अगाक्षतयच दृष्टिपीतानादर्शननु तत्वज्ञान रुचितपोतान अभिप्राय एह हेतु ते आयूय एह उपदेसतलीक प्रागउिकहिवउ एहसकल्पताक्किनान एर तलाजिमवाकडाइचडावस्फूनिश्चयरूपथाइति मयोतानपतिकरीनिश्चयरुपमुपतुमेकीधउगह पान तेहवधि प्रस्तगजादिकद करी निश्चयक एह प्रत्यक्षादिप्रमाणइ समोसरणषणानुएकठउ मिल एतलड सहइनः एकमिला एहवु न अगीकृत वृतनुनिश्चय करिमतेकहनु जेह सरीर थकी भनेरउ जीवन जीव घकी अनेरुसरारनहि सरीर तेहीज जीव तधाजीव वहीन सरीर प्रदेसी रादू इमकही पछी कैसी कुमार श्रमण प्रदेमी राजा प्रति एम बील्या हे प्रदेसी अम्हारि थमण निग धनी एह सम्यकन्नान तिहा लगिकहि जिहा एहज समोसरण जैह सरीरथकी अनेर जावयकीनेससरीर नहि तेजीव जीवतेहाज सरीर तिद्वारपछी प्रदेसी राजाप्रति केसि कुमारथमण प्रति एम बल्यु जउ हेपूज्य तुमारी श्रमणनी निग धनीएइ समोसरण सन्ना एहतिजा एइ

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