Book Title: Agam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Shwetambar
Author(s): Rai Dhanpatsinh Bahadur
Publisher: Rai Dhanpatsinh Bahadur
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रायपसेयी। मित्ता सेवविय णगरि मज्म मज्झण जेणेव सएगेहे तेणेव उवा गच्छद् त महत्य जाव पाहुड ववेद कोडि विपुरिसे सदावेति २ त्ता एववयासी खिप्पामेव भोदेवाणुप्पिया सग्रत्त जावचाउ गट ग्रासरह जुत्तामेवउवट्ठवेह जाव पच्चपिणह ततेणते कोडविय पुरिसा चित्तमा रहिस्स एयमढविणएण पडिसुणेति २त्ता हद्वतुद्वजाव दियया खिप्पा मेव स अत्य जाव जोद्धसज्मचाउ घट्ट आसरह जुत्तासे उवट्ठवेति तमाणत्तिय पच्चप्पिणति ततेपासे चित्त सारही कोडिविय पुरि सोण अतिते एयमट्टसोच्चा णिसम्म हतुट्ठजावहियाहाए कयवलि कम्मेकयकोउय मगलपायच्छित्ते सणद्धबद्धवम्मिय कवय उप्पीलिय
सरासणपट्टत्तेपिणडे गेविज्म विमलवर चिण्डपट्टे गहियाउय पहरणे भाव' । (मण्णवववम्मियकवए)इति कवचन्तसूवारा चर्मलोहमयकमूलिकादिरूपसञ्जातमस्येति वमिन सन्नड शरीरारीपणात वडगाढतरवन्धनेन बन्धनात् वर्मितम कवच येन म सन्नड वववर्मितकवच'। (उप्पीलिय सरासणपट्टिए) इति उत्पीडिता गाढीकृता सिरा अत्यन्त धिप्यन्ते अस्मिन्निति सरासनपट्टकम् (पिणवगैविजा) इति(विमलवरचिहप)अति पिनहायग्रीवाभरण विमलवरचितपद्यश्च येन स पिनद्धगैवेयकविमलवरचिचपर। (गहिया जइपहरणे) इति आयुजोडा आन्नासाभलइ तेह महज़ बहूमूलभेटणाप्रति लिइ प्रदेसा राजानी समीपथका नीकत्सद नीकलीनद सेयविया नगरी माधि माहिथर निहापातानु घर तिहा' जाइतेह महपं बहूमून भेटणउ परमाहियामद रसेवक पुरुपनदूतडावीर एम बोल्यु जतावलु न मही देवानुप्रियाउ कुत्रसहित ध्वजासहिरथनबिष्टूपातसबिघटाएकागएकपाकइघटाइमठष्ट धट घोडावहिल जोआनउ भाग एह आज्ञा अपराठामुडनदऊपरासउ पुतिद्वारपछी तह सेवकपुरुप चित्त मारथीनउएहअर्थ आचाविनय करी साभलइसाभलीन हपंसतीयपाम्या चित्तनद आणदा कता वलुज सव सध्वज युद्धनद सज्जवातुर्घ र घोडवहिलि जीवीन माण तेह आशाप्रति अपरा ठोसठ पु तिद्वारपछी तेह चित्र सारथी सेवक पुरुषनइ समीपद एहअथ एमबचनसाभला हियय अवधारी दर्पसतोषपाम्यु चित्तनाणदीस्नानकीधु कीधउबलिकमघरनादेवतापूनाकाधाधा कौतुक मुस्रीतिलकादिकमगलीकदथेडूवादिकतहाज पायचित्तास्थमादिकविधातवान अर्थदू “सरीरद पाहारोपउ काठठारावाधुचमतअगरथा कवचनेलोहनाकडीइकबाधुकाठीकरीवधिउ छड़ताघाना । पाचमेमयानेणनाधउछन्गीवाभरणी अननिर्मल प्रधान चिहुपमस्तकछोगाजेणइ गहियाकर पायुधतेपड्गादिक तीरभालादिकमोडअथ बहुमूल भेढियत सेईतेईन इतिहा चतुर्धट धोडवलि

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