Book Title: Agam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Shwetambar
Author(s): Rai Dhanpatsinh Bahadur
Publisher: Rai Dhanpatsinh Bahadur

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Page 183
________________ १-४ रायपसेणी । देवा दुहक्कगकरे अप्पेगइया देवा दुहक्ककरेति यप्येगइया वेलुर वेध करेति पपगइया देवज्भोय देवसपिणवाय देव्वूक्कलिय देवदुक्कग वेलुक्खेव करेति श्रपप गइया उप पलहत्थगया नाव सयसइस्सपत्तहत्थगया अपप गइया कलसहत्थेगया जावधूय कडू छू गया तुट्ठ जावदियया सव्वउ समता अधुवति परिधावति तरण सूरियाभ देव चत्तारिसामाणिय साहस्सीड जाव सोलसदेवसार स्सी अन्नेव बहवे सूरियाभ रायहाणि वत्यवा देवाय देवीच्य महया हायादाभिसेगेण अभिसिचति अभिसिचित्ता पत्तयर करयलपरिग्गद्दिय सिरसावत्त मत्तएय जलू कटूएव वयासी जयर यादा भद्दा जय रणदा भहते अजियजिणेहि जिय पालेह जियमभे साहि इदोद्रव देवाण चदोद्रव ताराण चमरोइव सुराण धरणोइव गागाण भरहोद्रव माणु या बहूद्द पलिउवमाइ बहू पलिउवम सागरवमाइ छउण्ह सामाणियसाहस्सीण जाव आरवदेवसा क्कलिका देवीकलिकान्ता कुर्वन्ति (देवक्क हक्क हकरिन्तित्ति) । प्राक्कताना देवाना ममोदभरवशत स्वेच्छा वचनैवोलकोलाहली देवक्कहकस्त कुर्व्वन्ति । (दुइदुद्दक्ककरेन्ति) । दुइदुद्दकमित्यनु बाधवड करदु कोइकदेवता पूर्वोक्तक कार्यकरण देवता छद्र वाटू च्यार पाच ५ छल कर कोइक देवताउत्पलकमनहाथिर्लेइभान पु उरीकादि सहस्रपवलचपवहाथिलेईऊभाज कोइक कलशहाथिलेट्रऊभाकर एमजकोइकफूलचगेरीकाइक आभरण कोइकधूप कडक उले ईरभाकर suसतोष भरथका चित्तनद्वयदिथकाचिहूदिसि सघल दउडजाइछद्र आवरइछद्र तिहारपछि सूर्याड देवप्रति प्यार सहस्रसार्मानिकदेवता च्यारिचगु महिपीवणिपरिषदा सोलद्र सहस्रआत्मरक्षकदेवता अनेरायणि घणा भूयाभ राजधानी वास्तव्यवासी देवता देवी मोटर मोटइ आडबरद्रद्राभयेकइ करी अभिषेककर इस्नानकरावद अभिषेककरीनद्र प्रत्येक प्रत्येक हूजुजुश्रा बिहू हाधिकरी कीधउ मस्तक आवर्त्त प्रदक्षणारूप मस्तकद अजलीटू करीन्द्र एमन बोलताहूया जनकतयमुनत नृधिकारक हेमइकल्याणकारीनुजयर हेनदजयर तुडनद्रभद्रकल्याणधाठकुड नद्रभट्टयाउ अजीत्यासवुदर्गन तुजीति जीतडपोतानडवर्ग तेहनद्र पीलि जोत्यावग्रमाहिनु सिद्र जिमदेवगणमा हिवसछद्र चद्रमाजिमतारागणमाहि चमरेंद्र जिमदेवमाहियसुर मोसीप चंदनकरी गात्र लिपटू लीपीन्द्र नासिकान नीसीनग वायरइउडाडीइ नेवनईहर ,

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