Book Title: Agam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Shwetambar
Author(s): Rai Dhanpatsinh Bahadur
Publisher: Rai Dhanpatsinh Bahadur

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Page 182
________________ रायपसेगी। १८३ हत्यिगुलगुलाइयं रहघणघणाय करति अप्पेगइया देवा अच्छो लति अप्पेगडया पच्छोलेति अप्पेगड्या कुहिकुणति अप्पेगड्या तिपिणवि अप्पेगइया उप्पयति अप्पेगया निवयति अप्पेगइया परिवति अप्पैगइया देवातिगिणवि अप्पंगईया देवा मीहणाय णयति अप्पेगदया पायदद्दरयकरति अप्पेगइया भूमिचक्खडदल यति अप्पंगइया सीइणाय पायदद्दरव भूमिचबेडलवति अप्पेग या देवा गच्छति अप्पेगइया विजयायति अप्पैगइयादेवा वासति अगदया तिणचि' अप्पंगड्या देवा जलति अप्प गद्यादेवा तचति अप्पंगड्या पतवति अप्पंगड्या तिरिणवि अपंगया हक्कारति अप्पंगवा पुक्कारेंति अप्पगइया धुक्कारति अप्पेगइयास णामाइ साहेति अपंगडया चत्तारिवि अप्पेगइया देवादेवसगिणवाय करैति अप्पेगद्यादेवूझोय करेंति अप्प्रेगया देवकलिय कति अप्पे गया - -- - - लन्ति प्रोछलयन्ति (उवयन्तित्ति) श्रवपतन्ति (उप्पयन्तित्ति) उत्पतन्ति (परिवयतित्ति) परिपतन्ति तिक निपतन्तीत्यर्थ । (जलन्तित्ति) ज्वालामालाकुला भवन्ति तप्ता भवति प्रनप्ता भवन्ति (धकारिन्नित्ति) थक्क इति महता भन्दन कुर्वन्ति दिवोक्कलियकरिन्तित्ति)देवाना वा तस्येवीहाथीनीपरि गुलगुललटकरद रधनीपरि धुण घणाट कर कोडक देवता वणिकार्यकर हाधीनी परिगुलगुलाट रथनीपरिघणघणाट कर कोडक देवता अछल कोईक वसपपणहउछला कोकदेवताागलीप्रति कुटि करइ कोदकदेवता वणिकार्यकरद कोकदेवता पाकासईरहिउडि कोकदेवता देठापडडू कीदक तिरिककुंदीरपडद कोइक देवता वणिकायकर कोइदेवता सिंहनादप्रतिद बीलउ कोडकदेवता पगनदकरीभूमिस्युकुटवू करड कोडक हाथदकरिभूमियड चपेटादेश कोइकदेवतावणिकर मिहनाद पगभूमिकटवउ भूमिचपेटा देदू कोडक देवता गाजद्र कीदकदेवता बीजलीकर कोडकदेवता मेहवरसि कोद्रकदेवता वगिकार्यकर कोइक देवता बलईआकुलथाद कोदक देवता तपद कोइक विसपद्गतपद कोडक वणिकार्यकरद कोदकदेवता बागल्यानद इकार कोडक पूरकारकरर कोइकर्दवताआगलीनद देपी थूकद कोइक पोताना नाम समलावर कोईक च्यारिपूर्वासकार्यकर कीरक देवता देवन सनिपात करण्कठामिलि कोइक देवनडकीधउ उद्योत कर कौनक देवकृतउकली करदऊपराऊपरिजाइन आवद कीदूक देवता दुहक्कसदवशेपकर कीपक देवता दुहर किएहीपपिसन्दवसेक्सकरडू कोडक धजानड

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