Book Title: Agam 04 Samvao Chauttham Angsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 7
________________ पव्वासाढनक्खत्ते चउत्तारे पन्नत्ते, उत्तरासाढनक्खत्ते चउत्तारे पन्नत्ते, इमीसे णं रयणप्पभाए पढवीए अत्थेगइयाणं नेरइयाणं चत्तारि पलिओवमाइं ठिई पन्नत्ता, तच्चाए णं पढवीए अत्थेगइयाणं नेरइयाणं चत्तारि सागरोवमाई ठिई पन्नत्ता, समवाओ-४ असुरकुमाराणं देवाणं अत्थेगइयाणं चत्तारि पलिओवमाइं ठिई पन्नत्ता । सोहम्मीसाणेस कप्पेस अत्थेगइयाणं देवाणं चत्तारि पलिओवमाई ठिई पन्नत्ता, सणंकुमार-माहिदेसु कप्पेसु अत्थेगइयाणं देवाणं चत्तारि सागरोवमाइं ठिई पन्नत्ता । जे देवा किढि सकिदि किट्ठियावत्तं किढिप्पभं किट्टिकंतं किद्विवण्णं किहिलेसं किद्विझयं किढिसिगं किद्विसिढे किठिंकडं किहत्तरवडेंसगं विमाणं देवत्ताए उववण्णा तेसि णं देवाणं उक्कोसेणं चत्तारि सागरोवमाइं ठिई पन्नत्ता, ते णं देवा चउण्हं अद्धमासाणं आणमंति वा पाणमंति वा ऊससंति वा नीससंति वा तेसिं देवाणं चउहिं वाससहस्सेहि आहारट्ठे समप्पज्जइ ।। अत्थेगइया भवसिद्धिया जीवा जे चउहिं भवग्गणेहिं सिज्झिस्संति जाव सव्वदुक्खाणमंतं करिस्संति । • चउत्थो समवाओ समत्तो . • मुनि दीपरत्नसागरेण संशोधितः सम्पादित्तश्च चउत्थो समवाओ समत्तो ० • पंचमो-समवाओ . [५] पंचकिरिया प० तं०- काइया अहिगरणिया पाउसिया पारियावणिआ पाणाइवायकिरिया, पंच महव्वया प० तं०- सव्वाओ पाणाइवायाओ वेरमणं सव्वाओ मसावायाओ वेरमणं सव्वाओ अदिन्नादाणाओ वेरमणं सव्वाओ मेहणाओ वेरमणं सव्वाओ परिग्गहाओ वेरमणं, पंच कामगणा प० तं०सद्दा रूवा रसा गंधा फासा, पंच आसवदारा पन्नत्ता तं जहा- मिच्छत्तं अविरई पमाया कसाया जोगा, पंच संवरदारा पन्नत्ता तं जहा- सम्मत्तं विरई अप्पमाया अकसाया अजोगा, पंच निज्जरवाणा पन्नत्ता तं जहा- पाणाइवायाओ वेरमणं मुसावायाओवेरमणं अदिन्नादाणाओवेरमणं मेहणाओवेरमणं परिग्गहाओ वेरमणं, पंच समिईओ पन्नत्ताओ तं जहा- इरियासमिई भासासमिई एसणासमिई आयाणभंडमत्तनिक्खेवणासमिई उच्चार-पासवण-खेल-सिंधाण-जल्ल-पारिट्ठावणियसमिई, पंच अत्थिकाया प० तं०- धम्म-त्थिकाए अधम्मत्थिकाए आगासत्थिकाए जीवत्थिकाए पोग्गलत्थिकाए रोहिणीनक्खत्ते पंचतारे पन्नत्ते, पुनव्वसनक्खत्ते पंचतारे पन्नत्ते, हत्थनक्खत्ते पंचतारे पन्नत्ते, विसाहानक्खत्ते पंचतारे पन्नत्ते, घणिट्ठानक्खत्ते पंचातारे पन्नत्ते, इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए अत्थेगइयाणं नेरइयाणं पंच पलिओवमाई ठिई पन्नत्ता, तच्चाए णं पढवीए अत्थेगइया नेरइयाणं पंच सागरोवमाई ठिई पन्नत्ता असुरकुमाराणं देवाणं अत्थेगइयाणं पंच पलिओवमाइं ठिई पन्नत्ता । सोहम्मीसाणेस् कप्पेस अत्थेगइयाणं देवाणं पंच पलिओवमाइं ठिई पन्नत्ता, सणंकुमारमाहिंदेस् कप्पेस् अत्थेगइयाणं देवाणं पंच सागरोवमाइं ठिई पन्नत्ता । [दीपरत्नसागर संशोधितः] [6] [४-समवाओ]

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