Book Title: Agam 04 Samvao Chauttham Angsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 59
________________ [२१०] माहिंदे णं कप्पे अट्ठ विमाणावाससयसहस्साई पन्नत्ताई। [२११] अजियस्स णं अरहओ साइरेगाइं नव ओहिनाणिसहस्साई होत्था । [२१२] परिससीहे णं वासुदेवे दस वाससयसहस्साइं सव्वाउयं पालइत्ता पंचमाए पुढवीए नरएस् नेरइयत्ताए उववन्ने । पइण्णग समवाओ [२१३] समणे भगवं महावीरे तित्थगरभवग्गहणाओ छढे पोट्टिलभवग्गहणे एगं वासकोडिं सामण्णपरियागं पाउणित्ता सहस्सारेकप्पे सव्वढेविमाणे देवत्ताए उववन्ने । [२१४] उसभसिरिस्सा भगवओ चरिमस्स य महावीरवद्धमाणस्स एगा सागरोवमकोडाकोडी अबाहाए अंतरे पन्नत्ते । [२१५] वालसंगे गणिपिडगे पन्नत्ते तं जहा- आयारे सूयगडे ठाणे समवाए विवाहपन्नत्ती नायाधम्मकहाओ उवासगदसाओ अंतगडदसाओ अनुत्तरोववाइयदसाओ पण्हावागरणं विवागसए दिट्ठिवाए | (१) से किं तं आयारे? आयारे णं समणाणं निग्गंथाणं आयार-गोयर-विणय-वेणइय-ढाण-गमण-चंकमणपमाण-जोगजुंजण-भासा-समिति-गुत्ती-सेज्जोवहिभत्तपाणं-उग्गमउप्पायणएसणाविसोहि-सुद्धासुद्धग्गहण-वयनियम-तवोवहाण-सुप्पसत्थ-माहिज्जइ, से समासओ पंचविहे प0 तं0-नाणायारे दंसणायारे चरित्तायारे तवायारे वीरियायारे, आयारस्स णं परित्ता वायणा संखेज्जा अणुओगदारा संखेज्जाओ पडिवत्तीओ संखेज्जा वेढा संखेज्जा सिलोगा संखेज्जाओ निज्जुत्तीओ । से णं अंगठ्ठयाए पढमे अंगे दो सुयक्खंधा पणवीसं अज्झयणा पंचासीइं उद्देसणकाला पंचासीइं समद्देसणकाला अट्ठारस पयसहस्साइं पदग्गेणं संखेज्जा अक्खरा अनंता गमा अनंता पज्जवा परित्ता तसा अनंता थावरा सासया कडा निबद्धा निकाइया जिणपन्नत्ता भावा आविज्जंति पन्नविज्जंति परूविज्जंति दंसिज्जंति निदंसिज्जंति उवदंसिज्जंति, से एवं आया एवं नाया एवं विण्णाया एवं चरणकरण-परूवणया आघिविज्जंति पन्नविज्जंति परूविजंति दंसिज्जंति निदंसिज्जंति उवदंसिज्जंति, सेत्तं आयारे । [२१६] से किं तं सूयगडे? (२)-सूयगडे णं ससमया सूइज्जति परसमया सूइज्जति ससमयपरसमया सूइज्जतिं जीवा सूइज्जति अजीवा सूइज्जति जीवाजीवा सूइज्जति लोगे सूइज्जति अलोगे सूइज्जति लोगालोगे सूइज्जति, सूयगडे णं जीवाजीव-पुण्ण-पावासव-संवर-निज्जरबंध-मोक्खावसाणा पयत्था सूइज्जंति, समणाणं अचिरकालपव्वइयाणं कुसमय-मोह-मोह-मइमोहियाणं संदेहजाय-सहजबुद्धि-परिणाम-संसइयाणं पावकरमइलमइ-गुण-विसोहणत्थं असीतस्स किरियावादिसयतस्स चउरासीए अकिरियवाईणं सत्तट्ठीए अन्नाणियवाईणं बत्तीसाए वेणइयवाईणं- तिण्हं तेसट्ठाणं अण्णदिट्ठियसयाणं वूहं किच्चा ससमए ठाविज्जति नाणादिद्वंतवयणनिस्सारं सुदु दरिसयंता विविहवित्थराणुगम-परमसब्भाव-गुण-विसिट्ठा मोक्खपहोयारगा उदारा अन्नाणतमंधकार विभूता सेवाणा चेव सिद्धसगइधरुत्तमस्स निक्खोभनिप्पकंपा सुत्तत्था । [दीपरत्नसागर संशोधितः] [58] [४-समवाओ]

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