Book Title: Agam 04 Samvao Chauttham Angsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 77
________________ [३२३] जंबुद्दीवे णं दीवे भरहे वासे इमीसे ओसप्पिणीए नव वासुदेवमायरो होत्था (तं जहा)- | [३२४] मियावई उमा चेव पहवी सीया य अम्मया । लच्छिमती सेसवती केकई देवई इय ।। [३२५] जंबुद्दीवे णं दीवे भरहे वासे इमीसे ओसप्पिणीए नव बलदेवमायरो होत्था (तं जहा)- | [३२६] भद्दा तह सुभद्दा य सप्पभा य सदसणा विजया य वेजयंती । जयंती अपराइया नवमिया रोहिणी बलेदेवाण मायरो ।। [३२७] जंबुद्दीवे णं दीवे भरहे वासे इमाए ओसप्पिणीए नव दसारमंडला होत्था तं जहाउत्तमपुरिसा मज्झिमपुरिसा पहाणपुरिसा ओयंसी तेयंसी वच्चंसी जसंसी छायंसी कंता सोम सुभगा पियदंसणा सुरूवा सुहसीला सुहाभिगमा सव्वजण-नयण-कंता ओहबला अतिबला महाबला अणिहता अपराया सत्तु-भद्दणा रिपुसहस्स-माण-महणा साणुक्कोसा अमच्छरा अचवला अचंडा मिय-मंजुल-पलावहसिया गंभीर-मधुर-पडिपुण्णा-सच्चवयणा अब्भुवगयवच्छला सरण्णा लक्खण-वंजण-गुणोववेया माणुम्माणपमाण-पडिपुण्ण-सुजात-सव्वंग-सुंदरंगा ससि-सोमागार-कंत-पिय-दंसणा अमसणा पयंडदंडप्पयार - गंभीर-दरिसणिज्जा तालद्धओव्विद्ध-गरुल-केऊ महावणु-विकड्ढगा महासत्तसागरा दुद्धरा धणुद्धरा धीरपुरिसा जुद्धकित्तिपुरिसा विउलकुल-समुभवा महारयण-विहाडगा अद्धभरहसामी सोमा रायकुलवंसतिलया अजिया अजियरहा हलमसल-कणग-पाणी संख-चक्क-गय-सत्ति-नंदगधरा पवरुज्जल-सक्कंत-विमल-गोथभ-तिरीडपइण्णग समवाओ धारी कुंडल-उज्जोइयाणणा पुंडरीय-नयणा एकावलिकंठलइयवच्छा सिरिवच्छ-सुलंछणा वरजसा सव्वोउयसुरभि-कुसुम-सुरइत-पलंबसोभंत-कंत-विकसंत-चित्त-वरमाल-रइयवच्चा अट्ठसय-विभत्त-लक्खण-पसत्थसुंदर-विरइयं-गमंगा मत्तगयवरिंद-ललिय-विक्कम-विलसियगई सारय-नवथणियमधुर-गंभीर-कोंचनिग्धोसदुंदुभिसरा कडिसुत्तगनील-पीय-कोसयवाससा पवरदित्ततेया नरसीहा नरवई नरिंदा नरवसभा मरुयवसभकप्पा अब्भहियं राय-तेय-लच्छीए दिप्पमाणा नीलग-पीतग-वसणा दुवे-वे रामकेसवा भायरो होत्था तं जहा- । [३२८] तिविढू य [दुविढू य सयंभू पुरिसुत्तमे । पुरिससीहे तह पुरिसपुंडरीए दत्ते नारायणे] कण्हे ।। अयले [विजए भद्दे स्प्पभे य सदसणे । आणंदे नंदणे पउमे] रामे यावि अपच्छिमे ।। [३२९] एतेसि णं नवण्हं बलदेव-वासुदेवाणं पुव्वभविया नव-नव नामधेज्जा होत्था (तं जहा)- | [३३0] विस्सभूई पव्वयए धणदत्त समद्दत्त सेवाले । वपियमित्त ललियमित्ते पुणव्वसू गंगदतते य ।। [३३१] एयाइं नामाइं पुव्वभवे आसि वासुदेवाणं । एत्तो बलदेवाणं जहक्कम कित्तइस्सामि ।। [३३२] विसनंदी सुबंध य सागरदत्ते असोगललिए य । [दीपरत्नसागर संशोधितः] [76] [४-समवाओ]


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