Book Title: Agam 04 Samvao Chauttham Angsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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संखस्स जूयकस्स दयसीमस्स ईसरस्स ।
0 अट्ठावन्नइमो समवाओ समत्तो 0
0 मुनि दीपरत्नसागरेण संशोधितः सम्पादित्तश्च अट्ठावनइमो समवाओ समत्तो 0 0 एगूणसद्विमो - समवाओ 0
[१३७] चंदस्स णं संवच्छरस्स एगमेगे उद् एगूणसट्ठि राइंदियाणि राइंदियाग्गेणं प० । संभवे णं अरहा एगूणसट्ठि पुव्वसयसहस्साइं अगारमज्झावसित्ता मुंडे भवित्ताणं अगाराओ अणगारिअं पव्वइए, मल्लिस्सं णं अरहओ एगूणसट्ठि ओहिनाणिसया होत्था ।
0 एगुणसद्विमो समवाओ समत्तो 0
० मुनि दीपरत्नसागरेण संशोधितः सम्पादित्तश्च एगूणसट्ठिमो समवाओ समत्तो 0 0 सद्विमो - समवाओ 0
[१३८] एगमेगे णं मंडले सूरिए सट्ठिए-सट्ठिए मुहुत्तेहिं संघाएइ, लवणस्स णं समुद्दस्स सि नागसाहसीओ अग्गोदयं धारेंति ।
विमले णं अरहा सट्ठि धणूई उड्ढं उच्चत्तेणं होत्था ।
बलिस्स णं वइरोयणिंदस्स सट्ठि सामाणियसाहस्सीओ पन्नत्ताओ, बंभस्स णं देविंदस्स देवरण्णो सट्ठि सामाणियसाहस्सीओ पन्नत्ताओ ।
सोहम्मीसाणेसु-दोसु कप्पेसु सट्ठि विमाणावाससयसहस्सा पन्नत्ता ।
0 सहिमो समवाओ समत्तो 0
० मुनि दीपरत्नसागरेण संशोधितः सम्पादित्तश्च सट्ठिमो समवाओ समत्तो 0 0 एगसट्टिमो - समवाओ 0
[१३९] पंचसंवच्छरियस्स णं जुगस्स रिदुभासेणं मिज्झमाणस्स एगसट्ठि उदुमासा पन्नत्ता मंदरस्स णं पव्वयस्स पढमे कंडे एगसट्ठिजोयणसहस्साइं उड्ढं उच्चत्तेणं पन्नत्ते चंदमंडले णं एगसट्ठिविभागविभाइए समंसे पन्नत्ते एवं सूरस्सवि ।
0 एगसद्विमो समवाओ समत्तो 0
० मुनि दीपरत्नसागरेण संशोधितः सम्पादित्तश्च एगसट्ठिमो समवाओ समत्तो 0 बावद्विमो-समवाओ 0
[१४0] पंचसंवच्छरिए णं जुगे बावट्ठि पुण्णिमाओ बावट्ठि अमावसाओ पण्णत्ताओ वासुपुज्जस्स णं अरहओ बावट्ठि गणा बावट्ठि गणहरा होत्था,
समवाओ-६२
सुक्कपक्खस्स णं चंदे बावट्ठि भागे दिवसे दिवसे परिवड्ढड्, ते चेव बहुलपक्खे दिवसे
दिवसे परिहायइ ।
[दीपरत्नसागर संशोधितः ]
[42]
[४- समवाओ]
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