Book Title: Agam 04 Samvao Chauttham Angsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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0 पन्नत्तरिमो-समवाओ 0 [१५३] सुविहिस्स णं पुप्फदंतस्स अरहओ पन्नतरिं जिणसया होत्था, सीतले णं अरहा पन्नत्तरिं पव्वसहस्साई अगारमज्झवसित्ता मुंडे भवित्ता णं अगाराओ अणगारिअं पव्वइए, संती णं अरहा पन्नत्तरिं वाससहस्साई अगारवासमज्झावसित्ता मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइए |
_____0 पन्नत्तरिमो समवाओ समत्तो 0 0 मुनि दीपरत्नसागरेण संशोधितः सम्पादित्तश्च पन्नत्तरिमो समवाओ समत्तो 0
0 छावत्तरिमो-समवाओ 0 [१५४] छावत्तरि विज्जुकुमारावाससयसहस्सा पन्नत्ता । एवं [१५५] दीवदिसाउदहीणं विज्जुकुमारिंदथणियमग्गीणं । छण्हंपि जुगलयाणं छावत्तरिमो सयसहस्साई ।।
0 छावत्तरिमो समवाओ समत्तो 0 0 मुनि दीपरत्नसागरेण संशोधितः सम्पादित्तश्च छावत्तरिमो समवाओ समत्तो 0
0 सत्तत्तरिमो-समवाओ 0 [१५६] भरहे राया चाउरंतचक्कवट्टी सत्तत्तरि पव्वसयसहस्साई कुमारवासमज्झावसित्ता महारायाभिसेयं संपत्ते, अंगवंसाओ णं सत्तत्तरिं रायाणो मुंडे भवित्ता णं अगाराओ अणगारिअं पव्वइया
दग्गतोयसियाणं देवाणं सत्तत्तरिं देवसहस्सा परिवारा पन्नत्ता, एगमेगे णं महत्ते सतत्तरि लवे लवग्गेणं पन्नत्ते ।।
0 सत्तत्तरिमो समवाओ समत्तो 0 0 मुनि दीपरत्नसागरेण संशोधितः सम्पादित्तश्च सत्तत्तरिमो समवाओ समत्तो 0
0 अकृसत्तरिमो-समवाओ 0 [१५७] सक्कस्स णं देविंदस्स देवरण्णो वेसमणे महाराया अट्ठसत्तरीए सवण्णकुमारदीवकुमारावाससयसहस्साणं आहेवच्चं पोरेवच्चं भट्टित्तं सामित्तं महारायत्तं आणा-ईसरसेणावच्चं कारेमाणे पालेमाणे विहरइ ।
थेरे णं अंकपिए अट्ठसत्तरिं वासाइं सव्वाउयं पालइत्ता सिद्धे जाव प्पहीणे ।
उत्तरायणनियट्टे णं सूरिए पढमाओ मंडलाओ एगूणचत्तालीसइमे मंडले अट्ठहत्तरि एगसद्विभाए दिवसखेत्तस्स निवुड्ढेत्ता रयणिखेत्तस्स अभिनिवुड्ढेत्ता णं चारं चरइ एवं दक्खिणायणनियट्टेवि ।
0 अद्वसत्तरिमो समवाओ समत्तो 0 0 मुनि दीपरत्नसागरेण संशोधितः सम्पादित्तश्च अहसत्तरिमो समवाओ समत्तो 0
समवाओ-७९
[दीपरत्नसागर संशोधितः]
[47]
[४-समवाओ]
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