Book Title: Agam 04 Samvao Chauttham Angsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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समवाओ - ३०
[ ६७ ] पाणिणा संपिहित्ताणं सोयमावरिय पाणिणं ।
अंतोनदंतं
महाम पकुव्वइ ||
I
[ ६८ ] जायतेयं अंतोधूमेणं
समारब्भ वहुं ओरंभिया जणं मारेई महामोहं पकुव्वइ ||
[ ६९ ] सिस्सम्मि जे पहणइ त्तमंगंमि चेयसा I विभज्ज मत्थयं फाले महामोहं पकुव्व ॥ [७] पुणो पुणो पणिहिए हणित्ता उवहसे जणं ।
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फलेणं अदुव दंडेणं महामोहं पकुव्वइ || [७१] गूढायारी निगूहेज्जा मायं मायाए छायए I असच्चवाई निण्हाई महामोहं पकुव्वइ [७२] धंसेइ जो अभूएणं अकम्मं अत्तकम् । अदुवा तुम कासित्ति महामोहं पकुव्वइ ।। [ ७३] जाणमाणो परिसओ सच्चमोसाणि भासइ I अज्झीणझंझे पुरिसे महामोहं पकुव्वइ || [७४] अणायगस्स नयवं दारे तस्सेवं धंसिया I विउलं विक्खोभइत्ताणं किच्चा णं पडिबाहिरं ।। [७५] उवगसंतंपि झंपित्ता पडिलोमाहिं वग्गुहिं । भोगभोगे वियाई महामोहं पकुव्वइ जे केई कुमारभूएत्तहं वए I इत्थीहिं गिद्धे वसए महामोहं पकुव्वइ ||
[७६] अकुमारभू
[७७] अबंभयारी जे केई बंभयारीत्तहं वए I
।
विस्सरं नयई नदं मायामोसं बहुं इत्थीविसयगेहीए महामोहं पकुव्वइ || [७९] जं निस्सिए उव्वहइ जससाअहिगमेणं वा I
तस्स लुब्भइ वित्तंमि महामोहं पकुव्वइ ।। [८] ईसरेण अदुवा गामेणं अणिस्सरे ईसरीकए । तस्स संप्गहीयस्स सिरी अतुलमागया || [१] ईसादोसेण कलुसाविलचेयसे महामोहं पकुव्वइ || भत्तारं जो विहिंसइ ।
I
सेावई पसत्थारं महामोहं पकुव्वइ ||
[ ८३] जे नायगं व रट्ठस्स नयारं निगमस्स वा
I
सेट्ठि बहुरवं हंता महामोहं पकुव्व
[29]
गद्दभेव्व गवां मज्झे [७८] अप्पणो अहिए बाले
जे अंतरायं चेएड्
[ ८२] सप्पी जहा अंडउडं
[दीपरत्नसागर संशोधितः ]
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[४- समवाओ]
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