Book Title: Agam 04 Samvao Chauttham Angsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 16
________________ कम्मविसोहिमग्गणं पड़च्च चउद्दस जीवट्ठाणा पन्नत्ता तं0-मिच्छदिट्ठी सासायणसम्म-दिट्ठी सम्मामिच्छदिट्ठी अविरयसम्मदिट्ठी विरयाविरए पमत्तसंजए अप्पमत्तसंजए नियट्टिबायरे अनिय-ट्टिबायरे सुहमसंपराए-उवसमए वा खवए वा उवसंतमोहे खीणमोहे सजोगी केवली अजोगी केवली । भरहेरवयाओ णं जीवाओ चउद्दस-चउद्दस जोयणसहस्साइं चत्तारि य एगत्तरे जोयणसए छच्च एकूणवीसे भागे जोयणस्स आयामेणं पन्नत्ताओ । एगमेस्स णं रण्णो चाउरंतचक्कवट्टिस्स चउद्दस रयणा प0 तं0- इत्थीरयणे सेणावइरयणे गाहावइरयणे पुरोहियरयणे, वड्ढइरयणे, आसरयणे हत्थिरयणे, असिरयणे, दंडरयणे चक्करयणे छत्तरयणे चम्मरयणे मणिरयणे कागिणिरयणे । समवाओ-१४ जंबुद्दीवे णं दीवे चउद्दस महानईओ पुव्वावरेणं लवणसमुदं सम्प्पेंति तं जहा- गंगा सिंधु रोहिआ रोहिअंसा हरी हरिकंता सीआ सीओदा नरकंता नारिकंता सुवण्णकूला रूप्पकूला रत्ता रत्तवई, इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए अत्थेगइयाणं नेरइयाणं चउद्दस पलिओवभाइं ठिई पन्नत्ता, पंचमाए णं पढवीए अत्थेगइयाणं नेरइयाणं चउद्दस सागरोवमां ठिई पन्नत्ता । असुरकुमाराणं देवाणं अत्थेगइयाणं चउद्दस पलिओवमाई ठिई पन्नत्ता | सोहम्मीसाणेस् कप्पेस् अत्थेगइयाणं देवाणं चउद्दस पलिओवमाइं ठिई पन्नत्ता, लंतए कप्पे देवाणं उक्कोसेणं चउद्दस सागरोवमाइं ठिई पन्नत्ता, महासुक्के कप्पे देवाणं जहन्नेणं चउद्दस सागरोवमाइं ठिई पन्नत्ता । जे देवा सिरिकंतं सिरिमहियं सिरिसोमनसं लंतयं काविळं महिंद महिंदोकंतं महिंदुत्तरवडेंसगं विमाणं देवत्ताए उववण्णा तेसि णं देवाणं उक्कोसेणं चउद्दस सागरोवमाई ठई पन्त्ता ते णं देवा चउद्दसहिं अद्धमासेहिं आणमंति वा पाणमंति वा ऊससंति वा नीससंति वा तेसि णं देवाणं चउद्दसहिं वाससहस्सेहिं आहारट्ठे सम्प्पज्जइ । संतेगइया भवसिद्धिया जीवा जे चउद्दसहिं भवग्गहणेहिं सिज्झिस्संति बज्झिस्संति मुच्चिस्संति परिनिव्वाइस्संति सव्वदुक्खाणमंतं करिस्संति । 0 चउद्दसमो समवाओ समत्तो 0 परत्नसागरेण संशोधितः सम्पादित्तश्च चउद्दसमो समवाओ समत्तो 0 0 पन्नरसमो-समवाओ 0 [३२] पन्नरस परमाहम्मिआ पन्नत्ता (तं जहा)[३३] अंबे अंबरिसी चेव सामे सबलेत्ति यावरे । रुद्दोवरुद्दकाले य महाकालेत्ति यावरे [३४] असिपत्ते धण कुम्भे वालए वेयरणीतिय । खरस्सरे महाधोसे एमेते पन्नरसाहिआ ॥ [३५] नमी णं अरहा पन्नरस धणूइं उड्ढे उच्चत्तेण होत्था, धुवराहू णं बहुलपक्खस्स पाडिवयं पन्नरसइ भागं पन्नरसइ भागेणं चंदस्स लेसं आवरेत्ताणं चिट्ठति तं जहा- पढमाए पढमं भागं बीआए द् भागं तइआए ति भागं चउत्थीए चउ भागं [दीपरत्नसागर संशोधितः] [15] [४-समवाओ]

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