Book Title: Agam 04 Samvao Chauttham Angsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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पंचमीए पंच भागं जाव पन्नरसेस पन्नरसमं भागं तं चेव सक्कपक्खस्स उवदंसेमाणे-उवदंसेमाणे चिट्ठति तं जहा- पढमाए पढमं भागं जाव पन्नरसेसु पन्नरसमं भागं । ___ छ नक्खता पन्नरसमुहुत्तसंजुत्ता पन्नत्ता (तं जहा)- |
[३६] सतभिसय भरणि अद्दा असलेसा साइ तह य जेहा य ।
___एते छन्नक्खत्ता पन्नरस मुहुत्त संजुत्ता ।
[३७] चेत्तासोएसु भासेसु सइ पन्नरसमुहत्तो दिवसो भवति सइ पन्नरस मुहुत्ता राई भवति, विज्जाअनुप्पवायस्स णं पव्वस्स पन्नरस वत्थू पन्न्त्ता ,
मणूसाणं पन्नरसविहे पओगे पन्नत्ते तं जहा- सच्चमणपओगे मोसमणपओगे सच्चामोससमवाओ-१५
मणपओगे असच्चामोसमणपओगे सच्चवइपओगे मोसवइपओगे, सच्चामोसवइपओगे, असच्चामोसवइपओगे ओरालिअसरीरकायपओगे ओरालिअमीससरीरकायपओगे वेउव्विअसरीरकायपओगे वेउव्विअमीससरीरकायपओगे आहारयसरीरकायप-ओगे वेउव्विअसरीरकायपओगे वेउव्विअमीससरीरकाय-पओगे आहारयसरीरकायपओगे आहारयमीससरीर-कायपओगे कम्मयसरीरकायपओगे |
इमीसे णं रयणप्पभाए पढवीए अत्थेगइयाणं नेरइयाणं पन्नरस पलिओवमाई ठिई पन्नत्ता, पंचमाए पुढवीए अत्थेगइयाणं नेरइयाणं पन्नरस सागरोवमाई ठिई पन्नत्ता
असुरकुमाराणं देवाणं अत्थेगइयाणं पन्नरस पलिओवमाइं ठिई पन्नत्ता ।
सोहम्मीसाणेसं कप्पेस् अत्थेगइयाणं देवाणं पन्नरस पलिओवमाइं ठिई पन्नत्ता, महासुक्के कप्पे अत्थेगइयाणं देवाणं पन्नरस सागरोवमाई ठिई पन्नत्ता ।
जे देवा नंदं सुणंदं नंदावत्तं नंदप्पभं नंदकंतं नंदवण्णं नंदलेसं नंदज्जयं नंदसिंगं नंदसिटुं नंदकडं नंदुत्तरवडेंसगं विमाणं देवत्ताए उववण्णा तेसि णं देवाणं उक्कोसेणं पन्नरस सागरोवमाई ठिई पन्नत्ता ते णं देवा पन्नरसण्हं अद्धमासाणं आणमंति वा पाणमंति वा ऊससंति वा नीससंति वा तेसि णं देवाणं पन्नरसहिं वाससहस्सेहिं आहारट्टे समुप्पज्जइ ।
संतेगइया भवसिद्धिया जा जे पन्नरसहिं भवग्गहणेहिं सिज्झिस्संति बज्झिस्संति मुच्चिस्संतिपरिनिव्वाइस्संति सव्वदुक्खाणं मंतं करिस्संति ।
0 पन्नरसमो समवाओ समत्तो 0 0 मुनि दीपरत्नसागरेण संशोधितः सम्पादित्तश्च पन्नरसमो समवाओ समत्तो 0
0 सोलसमो-समवाओ 0 [३८] सोलस य गाहा सोलसगा प0 तं0- समए वेयालिए उवसग्गपरिण्णा इत्थिपरिण्णा निरयविभत्ती महावीरथुई कुसीलपरिभासिए वीरिए धम्मे समाही मग्गे समोसरणे आहत्तहिए गंथे जमईए गाहा सोलसमे ।
सोलस कसाया पन्नत्ता तं जहा- अनंताणुबंधी कोहे अनंताणुबंधी माने अनंताणुबंधीमाया अनंताणबंधी लोभे अपच्चक्खाणकसाए कोहे अपच्चक्खाणकसाए माणे अपच्चक्खाणकसाए माया अपच्चक्खाणकसाए लोभे पच्चक्खाणावरणे कोहे पच्चक्खाणावरणे माणे पच्चक्खाणवरणा माया पच्चक्खाण-वरणे लोभे संजलणे कोहे संजलणे माणे संजलणे माया संजलणे लोभे ।
[दीपरत्नसागर संशोधितः]
[16]
[४-समवाओ]
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