Book Title: Agam 04 Samvao Chauttham Angsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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सेवइ नोवि अन्नं वायाए सेवावेइ वायाए सेवंतं पि अन्नं न समणजाणाइ, दिव्वे कामभोगे नेव सयं काएणं सेवइ नोवि अन्नं काएणं सेवावेइ काएणं सेवंतं पि अन्नं न समजाणाइ,
अरहतो णं अरिट्ठनेमिस्स अट्ठारस समणसाहस्सीओ उक्कोसिया समणसंपया होत्था, समणेणं भगवया महावीरेणं समणाणं निग्गंथाणं सखड्डयविअत्ताणं अट्ठारस ठाणा पन्नत्ता (तं जहा)
[४४] वयछक्कं कायछक्कं अकप्पो गिहिभायणं ।
पलियंक निसिज्जा य सिणाणं सोभवज्जणं ।। [४५] आयारस्स णं भगवतो सचूलिआगस्स अट्ठारस पयसहस्साइं पयग्गेणं पन्नत्ताई,
बंभीए णं लिवीए अट्ठारसविहे लेखविहाणे पन्नत्ते तं जहा बंभी जवणालिया दोसऊरिया खरोट्ठिया खरसाहिया पहाराइया उच्चत्तरिया अक्खरपट्ठिया भोगवइया वेणइया निण्हइया अंकलिवी गणियलिवी गंधव्वलिवी आयंसलिवी माहेसरीलिवी दामिलिवी बोलिंदीलिवी । समवाओ-१८
अत्थिनत्थिप्पवायस्स णं पुव्वस्स अट्ठारस वत्थू पन्नत्ता, धूमप्पभा णं पुढवी अट्ठारसुत्तरं जोयणसयस्सं बाहल्लेणं पन्नत्ता, पोसासाढेसु णं भासेसु सइ उक्कोसेणं अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ सइ उक्कोसेणं अट्ठारसमुहुत्ता राती भवइ ।
ईमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए अत्थेगइयाणं नेरइयाणं अट्ठारस पलिओवमाई ठिई पन्नत्ता, छट्ठीए अत्थेगइयाणं नेरइयाणं अट्ठारस सागरोवमाइं ठिई पन्नत्ता ।
असुरकुमारणं देवाणं अत्थेगइयाणं अट्ठारस पलिओवमाइं ठिई पन्न्त्ता |
सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु अत्थेगइयाणं देवाण अट्ठारस पलिओवमाइं ठिई पन्नत्ता, सहस्सारे कप्पे देवाणं उक्कोसेणं अट्ठारस सागरोवमाइं ठिई पन्नत्ता, आणए कप्पे देवाणं जहन्नेणं अट्ठारस सागरोवमाइई ठिई पन्न्त्ता ।
जे देवा कालं सुकालं महाकालं अंजणं रिटं सालं समाणं दुमं महामं विसालं सुसालं पउमं पउमगम्मं कुमदं देवत्ताए उववण्णा, तेसि णं देवाणं उक्कोसेणं अट्ठारस सागरोवमाइं ठिई पन्नत्ता ते णं देवाणं अट्ठारसहिं अद्धमासेहिं आणमंति वा पाणमंति वा ऊससंति वा नीससंति वा, तेसि णं देवाणं अट्ठारसहिं वाससहस्सेहिं आहारट्टे समुप्पज्जइ ।
संतेगइया भवसिद्धि जीवा जे अट्ठारसहिं भवग्गहणेहिं सिज्झिस्संति जाव परिनिव्वाइस्संति सव्वदुक्खाणमंतं करिस्संति ।
0 अद्वारसमो समवाओ समत्तो 0 0 मुनि दीपरत्नसागरेण संशोधितः सम्पादित्तश्च अट्ठारसमो समवाओ समत्तो 0
0 एगूणवीसमो-समवाओ 0 [४६] एगणवीसं नायज्झयणा पन्नत्ता (तं जहा) - [४७] उक्खित्तणाए संधाडे अंडे कम्मे य सेलए ।
तुंबे य रोहिणी मल्ली मागंदी चंदिमाति य ।। [४८] दावद्दवे उदगणाए मंडुक्के तेतलीइ य नंदीफले अवरकंका ।
___आइण्णे सुसंभाइ य अवरे य पोंडरीए नाए एगूणवीसइमे ।। [दीपरत्नसागर संशोधितः]
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[४-समवाओ]
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