Book Title: Agam 04 Samvao Chauttham Angsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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वा से असमुप्पण्णपव्वे समुप्पज्जिज्जा केवलं लोगं जाणित्तए, केवलदंसणे वा से असमुप्पण्णपुव्वे समुप्पज्जिज्जा केवलं लोयं पासित्ताए, केवलिमरणं वा मरिज्जा सव्वदुक्खप्पहीणा, I
मंदरे णं पव्वए मूले दसजोयणसहस्साई विक्खंभेणं पन्नत्ते, अरहा णं अरिट्ठनेमी दस घणूई उड्ढं उच्चत्तेणं होत्था, कण्हे णं वासुदेवे दस घणूई उड्ढे उच्चत्तेणं होत्था, रामे णं बलदेवे दस घणई उड्ढं उच्चत्तेणं होत्था, दस नक्खत्ता नाणविद्धिकरा पन्नत्ता (तं जहा)- |
[१५] मिगसिरभद्दा पुस्सो तिण्णि अ पुव्वा य मूलमस्सेसा ।
हत्थो चित्ता य तहा दस द्धिकराई नाणस्स ।। समवाओ-१०
[१६] अकम्मभूमियाणं मणआणं दसविहा रूक्खा उवभोगत्ताए उवत्थिया प० । [१७] मत्तंगया य भिंगा तडिअंगा दीव जोइ चित्तंगा ।
चित्तरसा मणिअंगा गेहागारा अनिगणा य ।। [१८] इमीसे णं रयणप्पभाए पढवीए अत्थेगइयाणं नेरइयाणं जहन्नेणं दस वाससहस्साई ठिई पन्नत्ता, इमीसे णं रयणप्पभाए पढवीए अत्थेगइयाणं नेरइयाणं दस पलिओवमाई ठिई पन्नत्ता, चउत्थीए पढवीए दस निरयावाससयसहस्सा पन्नत्ता, चउत्थीए पढवीए नेरइयाणं उक्कोसेणं दस सागरोवमाई ठिई पन्नत्ता, पंचमीए पुढवीए नेरइयाणं जहन्नेणं दस सागरोवमाई ठिई पन्नत्ता ।
असुरकुमाराणं देवाणं अत्थेगइयाणं जहन्नेणं दस वाससहस्साई ठिई पन्नत्ता ।
असुरिंदवज्जाणं भोमेज्जाणं देवाणं अत्थेगइयाणं जहन्नेणं दस वाससहस्साई ठिई पन्नत्ता, असुरकुमाराणं देवाणं अत्थेगइयाणं दस पलिओवमाइं ठिई पन्नत्ता |
बायरवणप्फतिकाइयाणं उक्कोसेणं दस वाससहस्साई ठिई पन्नत्ता । वाणमंतराणं देवाणं अत्थेगइयाणं जहन्नेणं दस वाससहस्साई ठिई पन्नत्ता ।
सोहम्मीसाणेस् कप्पेस् अत्थेगइयाणं देवाणं दस पलिओवमाइं ठिई पन्नत्ता, बंभलोए कप्पे देवाणं उक्कोसेणं दस सागरोवमाइं ठिई पन्नत्ता, लंतए कप्पे देवाणं जहन्नेणं दस सागरोवमाई ठिई पन्नत्ता ।
जे देवा घोसं सुघोसं महाघोसं नंदिघोसं सुसरं मनोरमं रम्म सम्मगं रमणिज्जं मंगलावत्तं बंभलोगवडेंसगं विमाणं देवत्ताए उववण्णा, तेसि णं देवाणं उक्कोसेणं दस-सागरोवमाई ठिई पन्नत्ता, ते णं देवा दसण्हं अद्धमासाणं आणमंति वा पाणमंति वा ऊससंति वा नीससंति वा तेसि णं देवाणं दसहिं वाससहस्सेहिं आहारट्टे सम्प्पज्जइ ।
संतेगइया भवसिद्धिया जीवा जे दसहिं भवग्गहणेहिं सिज्झिस्संति बुज्झिस्संति मुच्चिस्संति परिनिव्वाइस्संति सव्वदुक्खाण मंतं करिस्संति ।
दसमो समवाओ समत्तो 0 0 मुनि दीपरत्नसागरेण संशोधितः सम्पादित्तश्च दसमो समवाओ समत्तो 0
0 एक्कारसमो-समवाओ 0 [१९] एक्कारस उवासगपडिमाओ प० तं०- दंसणसावए, कयव्वयकम्मे, सामाइअकडे, पोसहोववास-निरए, दिया बंभयारी रत्तिं परिमाणकडे, दिआवि राओवि बंभयारी असिणाई वियडभोई
शास-निए, दवावमयाशाराप्त परिमाणक, टि-आखिराशावि वनयाशकासपाही पदयाभाई
[दीपरत्नसागर संशोधितः]
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[४-समवाओ]
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