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किसी काममें जरामात्र भी किसीको कुछ कहनेका अवकाशही नहीं मिलता था, छोटी उमरमें पढेहुए प्रकरण ग्रंथोकों विशेष स्फुट करनेमें अभ्यासक्रमको आगे बढानेमें वह प्रतिज्ञाबद्ध रहतीथी; अपने चातुर्यसे श्रीदेवीने इस घरको देवलोक सा चूना दिया था।
॥सच्चा मंत्री ॥ कुमारको मंत्रीपद मिला तबसें वोह अपना बहुत समय राजसभामेंही निकाला करतेथे, इधर श्रीदेवीकोभी घरका मंत्रीपदही मिलाहुआ था, दोनो दंपती अधिकारपरायण थे, नियमितकार्यके करनेमें विचक्षण थे, संसार और परमार्थके कार्यों में उन्होंने अग्रपद प्राप्त करलियाथा, अपने जीवनमें जो जो खामी मालूम देती उसे वोह चुन चुनकर निकाल देतेथे
और अपने जीवनकों चन्द्रके समान निर्मल बनाये जातेथे। ___ "गुणाः पूजास्थानं गुणिषु न च लिङ्गं न च वयः।" __इस नियमके अनुसार कुमारकी राज्यमें और प्रजामें स्प(सें कीर्ति बढने लगी। इधर श्रीदेवीनेभी अपने उत्तम आचार विचारोंसें उभयपक्षकी कीर्तिकों दिगन्तगामिनी करना शुरु किया । राजमहेलोंमें राजाओंके अंतेउरोंमें, राणियोंके और राजपुत्रियोंके पास उनकी कीर्ति अनेक विश्वासपात्र दासियों द्वारा पहुंचगई । इसलिये वहांभी प्रत्येक शुभप्रसंगोमें उनकी बडी पूछगाछ होनेलगी । श्रीदेवीकी दीहुई सलाह और दर्शाई हुई सम्मति दिव्यवाणी जैसी मानी जानेलगी।