Book Title: Abu Jain Mandiro ke Nirmata
Author(s): Lalitvijay
Publisher: Atmanand Jain Sabha

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Page 52
________________ है कि, ताजबीवीसे केई गुणी बढकर आबुकी कारीगिरि है। वहां काचका काम है और यहां तो पाषाणका काम वहत बारीक है। इस मंदिरकी कारीगिरी र रमें प्रसिद्ध है । ऐसा कोईही पाश्चात्य अंग्रेज पाया जायगा कि जो हिन्दुस्थानमे आया हो और आबुके मंदिरोंको न देख गया हो । * . किंचित् परिचयके लिये विमलशाह और-वस्तुपालके बनाये मंदिरोंका आदर्श साथ दाखल किया गया है, विशेपके लिये देखो "विमलचरित्र" संस्कृत, तथा "विमलमंत्रीनो विजय" "श्रीमान् गौर्जरभीमदेवनृपतेर्धन्यः प्रधानाग्रणीः, प्राग्वाटान्वयमंडनं सविमलो मंत्रिवरोऽप्यस्पृहः ॥ योऽष्टाशीत्यधिके सहस्रगणिते संवत्सरे वैक्रमे, प्रासादं समचीकरच्छशिरुचिं श्रीअंविकादेशतः॥१॥ 44 * देखो परिशिष्ट नम्बर १ ।

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