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(६) फा. व. अष्टमीके दिनका उत्सव हंडाउदा गामके और डवाणी गामके श्रीसंघको उचित है कि वह छठे दिनका महोत्सव करें।
(७) सातवे दिनकी पूजा फा. व. नवमीके दिन मढार गामके लोग करावें और उत्सबभी वह ही करें।
(८) दशमीकी पूजा साहिलवाडाके लोग करावें और उत्सव पूर्वक इस आठवें दिनको गुजारें।
[इसके अतिरिक्त देलवाडेके श्रीसंघका फर्ज होगा कि, वह नेमिनाथ स्वामीके पांच कल्याणकोंका उत्सव उस उस तिथिमें प्रतिवर्ष करें। ___ यह मर्यादा-आयु पर्वतके ऊपर देलवाडा गाममेंचंद्रावतीके राजा सोमसिंह देव और उनके पुत्र राजकुमार श्रीकान्हड देव आदि राजकुमारोंके सामने-समस्त राजवर्गके समक्ष बांधी गई है । इस शासन पत्रको प्रकट करनेके समय-चंद्रावतीका समस्त जन समुदाय चंद्रावतीके स्थानपति-भट्टारक, कविवर्ग, गूगलीब्राह्मण, समस्त महाजन समुदाय-वैसेही अचलेश्वर, वशिष्ट कुंड, देउलवाड़ा श्रीमातामहबुग्राम, औवाग्राम, औरासागाम, उतरछगाम, सिहरगाम, सालगाम, हिटुंजीगाम, आखीगाम, और धांधलेश्वर कोटडी आदि वारांगामोंके रहनेवाले स्थानपति, तपोधन, गूगलीब्राह्मण, राठिय आदि समस्त प्रजावर्ग और भालि, भाडा, आदिगामोंके रहनेवाले श्रीप्रतिहार ग्रामके राजकीय लोग