Book Title: Yogshastra
Author(s): Padmavijay
Publisher: Nirgranth Sahitya Prakashan Sangh

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Page 14
________________ केबलीसमुद्घात के समय त्रियोगों का निरोध ६०३ सिद्धत्वप्राप्ति की प्रक्रिया एवं अवस्था०४ १२- द्वादशम प्रकाश ( १२ ) ६०५ से ६१८ ६०६ ६०७ ; चार प्रकार के चित्त उनकी व्याम्या बहिरात्मा अन्तरात्मा और परमात्मा आत्मा के ही ज्ञान, ध्यान का अभ्यास आत्मज्ञान मे पूर्वजन्म के संस्कार ग जन्म में गुरु के उपदेश तथा गुरुसेवा के विशेष कारण चित्तरर्थर्य के लिए उपाय - गुरुवा ६०७ ६..६ LOE ६१० ६११ ६११ तीनों योगों की स्थिरता से परमात्मतत्वलाभ उन्मनीभाव प्रगट होने के उपाय मन के स्थिर होने का अचूक उपाय इन्द्रिय एवं मन पर विजय के उपाय तत्वज्ञान होने की पहिचान अमनस्कता प्राप्ति से विविधि उपलब्धियां ६१३ उन्मनी भाव की परिपक्वता का फल अन्य देव या भौतिक पदार्थों से याचना न करके एकमात्र आत्मा को प्रसन्न करना ही उसका उपाय है ६१२ ६:४ ग्रन्थकार द्वारा उपसंहार अनुवाद की ओर से प्रशस्ति ६१५ ६१६ ६१७

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