Book Title: Vijyanandsuri Swargarohan Shatabdi Granth
Author(s): Navinchandra Vijaymuni, Ramanlal C Shah, Shripal Jain
Publisher: Vijayanand Suri Sahitya Prakashan Foundation Pavagadh
View full book text
________________
उसकी श्रमण संस्कृति का जीवंत होना। भगवान महावीर स्वामी से लेकर अद्यावधि यह श्रमण संस्कृति अविच्छिन्न रूप से चली आ रही है।
इसी श्रमण संस्कृति की श्रृंखला में एक महनीय व्यक्तित्व जुड़ा है जहां से हजारों नयी धाराएं जन्म लेती है। वे महामहिम अमर और ओजस्वी व्यक्तित्व है विश्व वंद्य विभूति, महान ज्योतिर्धर, न्यायाम्भोनिधि आचार्य श्रीमद्, विजयानंद सूरीश्वरजी महाराज । जिनकी स्वर्गारोहण शताब्दी के उपलक्ष में प्रस्तुत ग्रंथ का प्रकाशन हो रहा है।
आचार्य श्रीमद्, विजयानंद सूरीश्वरजी (आत्माराम जी) महाराज के वर्तमान पट्टधर परमार क्षत्रियोद्धारक, चारित्र चूड़ामणि, जैन दिवाकर, शासन शिरोमणि आचार्य श्रीमद्, विजय इन्द्रदिन्न सूरीश्वरजी महाराज की प्रेरणा से एवं कार्यदक्ष आचार्य श्रीमद् विजय जगच्चन्द्र सूरीश्वरजी महाराज के मार्गदर्शन में उनकी निश्रा में गुरू विजयानंद स्वर्गारोहण शताब्दी के उपलक्ष्य में कई धार्मिक, सामाजिक, साहित्यिक एवं शैक्षणिक ऐतिहासिक युगीन कार्य सम्पन्न हुए। प्रस्तुत ग्रन्थ का प्रकाशन उन्हीं स्मरणीय युगीन कार्य की एक महत्त्वपूर्ण कड़ी है। प्रस्तुत ग्रन्थ का प्रकाशन कर हमें उनकी स्मृति को चिर स्थाई रखते हुए अत्यन्त प्रसन्नता हो रही है।
इस महाग्रन्थ को जिन जिन महानुभावों ने आकार प्रदान किया है वे साधुवाद के पात्र हैं। फाउंडेशन उन सभी का ऋणी है। विशेष रूप से संपादक मंडल का जिनके अथक परिश्रम का यह मधुर फल है।
श्री मनीष चौपडा, प्रबन्धक श्री माणक ऑफसेट प्रिन्टर्स, जोधपुर का भी फाउन्डेशन आभार मानता है जिन्होंने इस महाग्रन्थ की टाइप सेटिंग एवम् मुद्रण का कार्य बहुत ही सुन्दर ढंग से अल्प समय में सम्पन्न किया है।
___ 'श्री विजयानंद सूरी स्वर्गारोहण शताब्दी ग्रन्थ' आचार्य श्रीमद् विजयानंद सूरीश्वरजी महाराज की पावन स्मृति को समर्पित एक श्रद्धांजलि ग्रन्थ है । यह ग्रन्थ निश्चय ही स्मारक साहित्य का सिमाचिन्ह सिद्ध होगा ऐसी आशा है ।
मंत्री
अध्यक्षमघराज मेहता,फालना
मदनलाल जैन ,मुरादाबन श्री विजयानन्द सूरि साहित्य प्रकाशन फाउंडेशन, पावागढ़
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org