Book Title: Vidyopasna
Author(s):
Publisher: Himmatram Yagnik
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
॥ श्रीललितापञ्चकम् ॥ प्रातःस्मरामि ललितावदनारविन्द
विम्बाधरं पृथुलमौक्तिकशोभिनासम् । आकर्णदीर्घनयनं मणिकुण्डलाढथं
मन्दस्मितं मृगमदोज्ज्वलभालदेशम् ॥१॥ प्रातर्भजामि ललिताभुजकल्पवल्ली
रक्ताङ्गुलीयलसदगुलिपल्लवाढथाम् । माणिक्यहेमवलयाङ्गदशोभमानां
पुण्ढेक्षुचापकुसुमेघुसृणीर्दधानाम् ॥२॥ प्रातर्नमामि ललिताचरणारविन्द
भक्तेष्टदाननिरतं भवसिन्धुपोतम् । पद्मासनादिसुरनायकपूजनीयं
पद्माङ्कुशध्वजसुदर्शनलाञ्छनाढयम् ॥३॥ प्रातः स्तुवे परशिवां ललितां भवानी
त्रय्यन्तवेद्यविभवां करुणानवद्याम् । विश्वस्य सृष्टिविलयस्थितिहेतुभूतां
विद्येश्वरी निगमवाड्:मनसादिदूराम् ।।४।। प्रातर्वदामि ललिते तव पुण्यनाम
कामेश्वरीति कमलेति महेश्वरीति । श्रीशाम्भवीति जगतां जननी परेति
वाग्देवतेति वचसा त्रिपुरेश्वरीति ॥५॥ वः श्लोकपञ्चकमिदं ललिताम्बिकायाः
सौभाग्यदं सुललितं पठति प्रभाते । तस्मै ददाति ललिता झटिति प्रसन्ना
विद्यां श्रियं विमलसौख्यमनन्तकीर्तिम् ।।६।। इति श्रीमछकराचार्यकृतं ललितापञ्चकं सम्पूर्णम् ॥
For Private and Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 ... 141