Book Title: Vidyopasna
Author(s): 
Publisher: Himmatram Yagnik

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Page 122
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir । ३ सर्वलोकेश्यै .विश्वधारिण्यै . त्रिवर्गदा७० - सुभगाये .. त्र्यम्बकायै , त्रिगुणात्मिकायै . स्वर्गापवर्गदायै .., शुद्धा जपापुष्पनिभाकृती .. ओजोवती , द्युतिधरायै , यज्ञरूपाये . प्रियव्रता७७० , दुराराध्या* , दुराधर्षाओं ., पाटलीकुसुमप्रियायै १११ ३ मार्तण्डभैरवाराध्यापै ,, मन्त्रिणीन्यस्तराज्यधुरे ,. . त्रिपुरेश्यै ... जयत्सेना . निस्वैगुण्याथै " परापरायै७८० , सत्यज्ञानानन्दरूपाये ,, सामरस्यपरायणायै कपर्दियौ ,, कलामाला कामधुराग कामरूपिण्यै ., कलानिधये .. काव्यकला .. रसज्ञा .. रसशेवधये८०० ,, पुष्टाये :, पुरातना .. पूज्या » पुष्करा मेरुनिलयायै मन्दारकुसुमप्रियायै ,, वोराराध्या .. विरारुपायै विरजायै .. विश्वतोमुख्यै ७८० . प्रत्यपारी . पराकाशा .. प्राणदा . प्राणरूपिण्यै .. पुष्करेक्षणा ., परस्मैज्योतिष .. परस्मैधाम्ने ,, परमाणवे ., परात्परारी .. पाशहस्तायै८१० ,, पाशहन्य , परमञ्चविभेदियौ .. । For Private and Personal Use Only

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