Book Title: Vidyopasna
Author(s): 
Publisher: Himmatram Yagnik

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Page 69
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ५८ अथ प्रदक्षिणां नमस्कारान जप च कृत्वा स्तुवीत । __ स्तोत्रम् गणेशग्रहनक्षत्रयोगिनीराशिरूपिणीम् । देवों मन्त्रमयी नौमि मातृकां पीठरूपिणीम् ॥१॥ प्रणमामि महादेवी मातृकां परमेश्वरीम । कालहल्लोहलोल्लोलकलनाशमकारिणीम ॥२।। यदक्षरैकमात्रेऽपि ससिद्ध स्पर्धते नरः । रवितायेंन्दुकदर्प शंकरानलविष्णुभिः ॥३॥ यदक्षरशशिज्योत्स्नामण्डितं भुवनत्रयम् । वन्दे सर्वेश्वरी देवीं श्रीमहासिद्धमातृकाम् ॥४॥ यदक्षरमहासूत्रप्रोतमेतज्जगत्रयम । ब्रह्माण्डादिकटाहान्तं तां वन्दे सिद्धमातृकाम ।।५।। यदेकादशमाधार बोज कोणत्रयोद्भवम् । ब्रह्माण्डादिकटाहान्तं जगदद्यापि दृश्यते ।।६।। अकचादिटतोन्नद्धपयशाक्षरवगिणीम् । ज्येष्ठाङ्गबाहुहृत्पृष्ठ कटिपादनिवासिनीम् ॥७॥ तांभीकाराक्षरोद्धारां सारात्सारां परात्पराम् । प्रणमामि महादेवों परमानन्दरूपिणीम् ॥८॥ अद्यापि यस्या जानन्ति न मनागपि देवताः । केयं कस्मात क्व केनेति स्वरूपारूपभावना ॥९॥ वन्दे तामहमक्षय्यां क्षकाराक्षररूपणीम् । देवी कुलकलोल्लासप्रोल्लसन्ती परां शिवाम ॥१०॥ वर्गानुक्रमयोगेन यस्यां मात्राष्टक स्थितम् । वन्दे तामष्टवोत्थां महासिद्धयष्टकेश्वरीम् ॥११॥ For Private and Personal Use Only

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