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प्रस्तावना
खया समय-समयपर पूरे प्रदेशका जलप्लावन आज भी देखा-सुना जाता है । अतः पूर्वोक्त दोनों उल्लेखोंसे किसी अन्य सिन्धु देशका नहीं, किन्तु इसी सिन्धुबहुल, उदकदेश या तीरभुकिसे ही अभिप्राय है । ____ अब इस विषय में एक प्रश्न फिर भी शेष रह जाता है। इधर दीर्घकालसे महावीर स्वामीका जन्म-स्थान बिहार के पटना जिले में नालन्दाके समीप कुण्डलपुर माना जाता है। वहीं एक विशाल मन्दिर भी है और वह भगवान्के जम्मकल्याणक स्थान के रूपमें एक तीर्थ माना जाता है। इसी श्रद्धासे , वहां सहस्रों पात्री तीर्थयात्रा करते हैं | उसी प्रकार श्वेताम्बर सम्प्रदाय द्वारा भगवान् का जन्मस्थान मुंगेर जिलेके लच्छूआड़ नामक ग्रामके समीप क्षत्रिय-कुण्डको माना गया है। किन्तु ये दोनों स्थान गंगाके उत्तर विदेह देशमें न होकर गंगाके दक्षिण में मगध देशके अन्तर्गत हैं और इन कारण दोनों ही सम्प्रदायोंके प्राचीनतम स्पष्ट अन्योल्लेखोंके विरुद्ध पड़ते हैं । यथार्थतः इस विषयमें सन्देह याकोबी आदि उन विदेशी विद्वानोंने प्रकट किया जिन्होंने इस विषयपर निष्पक्षतापूर्वक शुद्ध ऐतिहासिक दृष्टिसे विचार किया था, और उन्हीं की खोज-शोत्री द्वारा वैशाली तथा कुष्ठपुरकी वास्तविक स्थितिका पता चला। ये जो दो स्थान वर्तमानमें जन्मस्थल माने जा रहे हैं उनकी परम्परा वस्तुतः बहुत प्राचीन नहीं है। विकार करनेसे ज्ञात होता है कि विदेह और मगध प्रदेशोंमें जैनधर्मके अनुयायियोंकी संख्या महावीरके कालसे लगभग बारह सौ वर्पतक तो बहुल रहा । सातवीं शताब्दीमें हर्षवर्धनके कालमें जो चीनी यात्री हुयेनत्यांग भारतमें आया था उसने समस्त बौद्ध तीर्थोकी यात्रा करने का प्रयत्न किया था। वह वैशाली भी गया था जिसके विषयमें उसने अपनी यात्राके वर्णनमें स्पष्ट लिखा है कि वहा बौद्ध धर्मानुयायियोंकी अपेक्षा निर्मन्थों अर्थात जैनियों की संख्या अधिक है। किन्तु इसके पश्चात् स्थितिमें बड़ा अन्तर पहा प्रतीत होता है, और अनेक कारणों से यहाँ प्रायः जैनियों का अभाव हो गया। इसके अनेक शताब्दी पश्चात् सम्भवतः मुगलकालमें व्यापारकी दृष्टि से पुनः जनी यहां आकर बसे और उन्होंने पुरातत्त्व व ऐतिहासिक प्रमाणोंके आधारपर नहीं, किन्नु केवल नाम-साम्य तथा भ्रान्त जनश्रुतियों के आचारसे कुण्डलपुर व लच्छुआड़में भगवान के जन्मस्थानकी कल्पना कर ली। अब उफ दोनों स्थान वहाँके मन्दिरों के निर्माण, गतियोंकी प्रतिष्ठा तथा सैकड़ों वर्षोंस जनताको श्रद्धा एवं तीर्थयात्राके द्वारा तीर्थस्थल बन गये हैं और बने रहेंगे। किन्तु जब हमने यह जान लिया कि भगवान का वास्तविक जन्म स्थान वैशाली व कुण्ठपुर है उसे समस्त भारतीय व विदेशी विद्वानोंने एकमतसे स्वोकार किया है तथा बिहार शासन द्वारा भी उसे मान्यता प्रदान कर वहाँ महावीर स्मारक और
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