Book Title: Uttaradhyayan Sutram
Author(s): Bhavvijay, Matiratnavijay,
Publisher: Sanmarg Prakashan
View full book text
________________
lisill
lloll
leel ell
Mail
lel
उत्तराध्ययन- is सकषायस्योच्यते । यदुक्तं - "मोत्तुं अकसायठिई, बारमुहुत्ता जहन्ना वेअणिएत्ति" । अकषायस्य तु समयद्वयरूपा सातवेद्यस्य कर्मप्रकृतिसूत्रम् is स्थितिरिहैवोक्ता, तदत्र तत्त्वं तत्त्वविदो विदन्तीति ।। २०।।
___ नाम ११४६
त्रयस्त्रिंशउदहिसरिसनामाणं, सत्तरि कोडिकोडिओ । मोहणिज्जस्स उक्कोसा, अंतोमुहुत्तं जहण्णिआ ।। २१ ।।
मध्ययनम् तेत्तीससागरोवम, उक्कोसेण विआहिआ । ठिई उ आउकम्मस्स, अंतोमुत्तं जहण्णिआ ।।२२।। उदहिसरिसनामाणं, वीसई कोडिकोडिओ । नामगोत्ताण उक्कोसा, अट्ठमुहुत्ता जहण्णिआ ।। २३ ।। व्याख्या - स्पष्टानि ।। २१ ।। २२।। २३।। अथ भावमाह - सिद्धाणऽणंतभागो अ, अणुभागा भवंति उ । सव्वेसुवि पएसग्गं, सव्वज्जीवेसऽइच्छिअं ।। २४ ।।
व्याख्या - सिद्धानामनन्तभागेऽनुभागा रसविशेषा भवन्ति, तुः पूर्ती, अयञ्चानन्तभागोऽनन्तसङ्ख्य एवेति । तथा सर्वेष्वपि ॥ il प्रक्रमादनुभागेषु प्रदिश्यन्त इति प्रदेशा बुद्ध्या विभज्यमानास्तदविभागैकदेशास्तेषामग्रं परिमाणं प्रदेशाग्रं 'सव्वजीवेसइच्छिअंति' || सर्वजीवेभ्योऽतिक्रान्तं, ततोपि तेषामनन्तगुणत्वादिति सूत्रनवकार्थः ।।२४ ।। अध्ययनार्थोपसंहारपूर्वमुपदेशमाह -
११४६
Mall ||oll
all
Hell Nell lIsll
llell lel
Isl
INoI
llell
lol
Isl
lol Ill
lsil
llolli
lll
Mell
Isll
leel
II
llol
in Education Inter
nal
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 1186 1187 1188 1189 1190 1191 1192 1193 1194 1195 1196 1197 1198 1199 1200 1201 1202 1203 1204 1205 1206 1207 1208 1209 1210 1211 1212 1213 1214 1215 1216 1217 1218 1219 1220 1221 1222 1223 1224 1225 1226 1227 1228 1229 1230 1231 1232 1233 1234 1235 1236 1237 1238 1239 1240 1241 1242 1243 1244 1245 1246 1247 1248 1249 1250 1251 1252 1253 1254 1255 1256 1257 1258 1259 1260 1261 1262 1263 1264 1265 1266 1267 1268 1269 1270 1271 1272 1273 1274