Book Title: Uttaradhyayan Sutram
Author(s): Bhavvijay, Matiratnavijay,
Publisher: Sanmarg Prakashan
View full book text
________________
उत्तराध्ययन
सूत्रम् १९९०
Mer
Hell एते खरपुढवीए, भेआ छत्तीसमाहिआ । एगविहमनाणत्ता, सुहुमा तत्थ विआहिआ ।।७७।।
जीवाजीवTel! Isil व्याख्या - ‘एगविहंति' सूत्रत्वादेकविधाः, किमित्येवंविधाः ? यतोऽनानात्वा अभेदाः सूक्ष्माः तत्र पृथ्वीजीवेषु व्याख्याताः ।।७७।।
विभक्तिनाम Ill ill पृथ्वीकायानेव क्षेत्रत आह -
षटत्रिंशIll
मध्ययनम् isl सुहुमा य सव्वलोगंमि, लोगदेसे अ बायरा । एत्तो कालविभागं तु, तेसिं वोच्छं चउब्विहं ।।७८।। Isl
व्याख्या - सूक्ष्माः सर्वलोके, लोकदेशे च रत्नप्रभापृथिव्यादौ बादराः । शेषं स्पष्टम् ।। ७८।। संतई पप्पडणाईआ, अपज्जवसिआवि अ । ठिई पडुच्च साईआ, सपज्जवसिआ वि अ ।।७९।।
व्याख्या - सन्ततिं प्रवाहं प्राप्य आश्रित्य अनादिका अपर्यवसिता अपि च पृथ्वीकायिकानां प्रवाहतः कदाप्यसम्भवाभावात्, स्थितिं l भवस्थितिकायस्थितिरूपां प्रतीत्य सादिकाः सपर्यवसिता अपि च ।।७९।।
बावीस सहस्साई, वासाणुक्कोसिआ भवे । आउठिई पुढवीणं, अंतोमुहत्तं जहन्नगं ।।८।। असंखकालमुक्कोसं, अंतोमुहत्तं जहन्नगा । कायठिई पुढवीणं, तं कायं तु अमुंचओ ।। ८१।। व्याख्या - असङ्ख्यकालमसङ्ख्येयलोकाकाशप्रदेशप्रमाणोत्सर्पिण्यवसर्पिणीरूपं 'उक्कोसंति' उत्कृष्टा, अन्तुर्मुहूर्त जघन्यका कायस्थितिः
Hel ११९०
IST N61
Isl Igl foll
161
Jan Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 1230 1231 1232 1233 1234 1235 1236 1237 1238 1239 1240 1241 1242 1243 1244 1245 1246 1247 1248 1249 1250 1251 1252 1253 1254 1255 1256 1257 1258 1259 1260 1261 1262 1263 1264 1265 1266 1267 1268 1269 1270 1271 1272 1273 1274