Book Title: Uttaradhyayan Sutram
Author(s): Bhavvijay, Matiratnavijay,
Publisher: Sanmarg Prakashan
View full book text
________________
Poll
Nell
llol
उत्तराध्ययनसत्तरस सागराऊ, उक्कोसेण विआहिआ । पंचमाए जहन्नेणं, दस चेव उ सागरोवमा ।।१६४।।
ion जीवाजीवसूत्रम्
विभक्तिनाम १२०३ बावीस सागराऊ, उक्कोसेण विआहिआ । छट्ठीए जहन्नेणं, सत्तरस सागरोवमा ।।१६५।। IsI
षटत्रिंशlall तेत्तीस सागराऊ, उक्कोसेण विआहिआ । सत्तमाए जहन्नेणं, बावीसं सागरोवमा ।।१६६।। Hell
ill मध्ययनम् Poll जा चेव उ आऊठिई, नेरईआणं विआहिआ । सा तेसिं कायठिई, जहण्णुकोसिआ भवे ।।१६७।। Nell Poll
व्याख्या - या चैव आयुःस्थिति रयिकाणां व्याख्याता सा तेषां कायस्थितिर्जघन्योत्कृष्टा च भवेत्, तेषां हि तत उद्वृत्तानां ॥ Mall गर्भजतिर्यग्मनुष्येष्वोत्पाद इति ।। १६१-१६७।।।
अणंतकालमुक्कोसं, अंतोमुहुत्तं जहण्णगं । विजढंमि सए काए, नेरइआणं तु अंतरं ।।१६८।।
व्याख्या - अत्रान्तर्मुहूर्त जघन्यान्तरं, यदा कोऽपि नरकादुहृत्य गर्भजपर्याप्तमत्स्येषूत्पद्यान्तर्मुहूर्त्तायुः प्रपूर्य क्लिष्टाध्यवसायवशात् पुनर्नरके in एवोत्पद्यते तदा लभ्यत इति भावनीयम् ।।१६८।।
एएसिं वण्णओ चेव, गंधओ रसफासओ । संठाणादेसओ वावि, विहाणाइं सहस्ससो ।।१६९।। तिरश्च आह - पंचिंदिअतिरिक्खा उ, दुविहा ते विआहिआ । समुच्छिमतिरिक्खा य, गब्भवक्वंतिआ तहा ।।१७०।।
१२०३
|| || Isl 16
llsil
lell Nell
sil Isil
llell
llel
llel
lish
lol
llsil lIsil ||oll
in Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 1243 1244 1245 1246 1247 1248 1249 1250 1251 1252 1253 1254 1255 1256 1257 1258 1259 1260 1261 1262 1263 1264 1265 1266 1267 1268 1269 1270 1271 1272 1273 1274