Book Title: Uttaradhyayan Sutram
Author(s): Bhavvijay, Matiratnavijay, 
Publisher: Sanmarg Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 1242
________________ wn उत्तराध्ययन सूत्रम् १२०० Ioll 16l कि जीवाजीवविभक्तिनाम षटत्रिंशमध्ययनम् ॥७॥ || || IST lell iish ||ol llel संतई पप्पऽणाईआ, अपज्जवसिआवि अ । ठिईं पडुश्च साईआ, सपज्जवसिआवि अ ।।१४०।। एगूणपण्णहोरत्ता, उक्कोसेण विआहिआ । तेइंदिअआउठिई, अंतोमुत्तं जहण्णिआ ।।१४१।। संखेजकालमुक्कोसा, अंतोमुहत्तं जहनिआ । तेइंदिअकायठिई, तं कायं तु अमुंचओ ।।१४२।। अणंतकालमुक्कोसं, अंतोमुहुत्तं जहन्नगं । तेइंदिअजीवाणं, अंतरे विआहि ।।१४३।। एएसिं वण्णओ चेव, गंधओरसफासओ । संठाणादेसओ वावि, विहाणाई सहस्ससो ।।१४४।। चतुरिन्द्रियानाह - चरिंदिआ उ जे जीवा, दुविहा ते पकित्तिआ । पजत्तमपजत्ता, तेसिं भेए सुणेह मे ।।१४५।। अंधिआ पोत्तिआ चे व, मच्छि आ मसगा तहा । भमरे कीडपयंगे अ, ढिंकुणे कुंकुणे तहा ।।१४६।। कुक्कुडे सिंगिरीडी अ, नंदावत्ते अविच्छिए । डोले भिंगिरीडी अ, विरिली अच्छिवेधए ।।१४७।। अच्छिले माहए, अच्छिरोडए विचित्ते चित्तपत्तए । ओहिंजलिआ जलकारि अ, नीआ तंबगावि अ ।।१४८।। व्याख्या - एतेष्वपि केपि प्रतीता: केचित्तु यथासम्प्रदायं तत्तद्देशप्रसिद्ध्या वा वाच्याः ।।१४५-१४८।। llell 116 ||७|| || Isll Ill foll || || || lel Isl lol lel le १२०० ॥७॥ For Personal Private Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 1240 1241 1242 1243 1244 1245 1246 1247 1248 1249 1250 1251 1252 1253 1254 1255 1256 1257 1258 1259 1260 1261 1262 1263 1264 1265 1266 1267 1268 1269 1270 1271 1272 1273 1274