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१२. जानबूझ कर हिंसा करे । १३. जानबूझ कर चोरी करे। १५. जानबूझ कर सचित्त - पृथ्वी पर शयन - आसन करे । १६. जानबूझ कर सचित्त - मिश्र पृथ्वी पर शय्या आदि करे । १७. सचित्त शिला तथा जिसमें छोटे-छोटे जन्तु रहें, वैसे काष्ठ आदि वस्तु पर अपना शयनआसन लगावे। १८. जानबूझ कर दस प्रकार की सचित्त वस्तु खावे - मूल, कंद, स्कन्ध, त्वचा, शाखा, प्रवाल, पत्र, पुष्प, फल और बीज । १९. एक वर्ष में दस बार सचित्त जल का स्पर्श करे - नदी उतरे। २०. एक वर्ष में दस बार माया ( कपट) करे । २१. सचित्त जल से भीगे हुए हाथ से गृहस्थ, आहारादि देवे और उसे जानता हुआ ले कर भोगवे ।
१. गुरु या
३. आशातना - अपने जिस आचरण व्यवहार से गुरु भगवन्तों, ज्ञान, दर्शन, चारित्र का, अपमान हो वे आशातना कहलाती है । वे आशातनाएं तेतीस कही गई हैं बड़ों के सामने शिष्य अविनय से चले । २. गुरु आदि के बराबर चले । ३. गुर्वादि के पीछे भी अविनय से चले । ४-६. गुर्वादि के आगे-पीछे या बराबर अविनय से खड़ा रहे । ७-९ गुर्वादि के आगे पीछे या बराबर अविनय से बैठे । १०. बड़ों के साथ शिष्य स्थण्डिल जावे और उनसे पहले शौचकर्म कर के आगे चला आवे । ११. गुरु के साथ शिष्य बाहर गया हो और पीछा लौटने पर ईर्यापथिकी पहले प्रतिक्रमे । १२. कोई पुरुष उपाश्रय में आवे तब उनसे गुरु से पहले ही शिष्य बोले । १३. रात्रि के समय जब गुरु कहे- 'अहो आर्य! कौन नींद में है और कौन जाग रहा है ?' तब आप जागते हो, तो भी नहीं बोले । १४. आहारादि ला कर उसकी • आलोचना पहले अन्य मुनि के सामने करे और बाद में गुरु के समक्ष करे। १५. आहारादि पहले अन्य मुनि को बतावे और बाद में गुरु को बतावे । १६. आहारादि के लिए पहले अन्य मुनि को आमंत्रण दे और बाद में गुरु को दे । १७. गुरुजनों को पूछे बिना ही अन्य मुनियों को आहारादि देवे । १८. बड़ों के साथ भोजन करते समय, सरस मनोज्ञ आहार स्वयं अधिक तथा शीघ्र करे । १९. गुर्वादि के पुकारने पर भी मौन रहे । २०. गुर्वादि के बुलाने पर अपनेआसन पर बैठे ही कहे - "मैं यहाँ हूँ," परन्तु आसन छोड़ कर उनके पास जावें नहीं । २१. गुरु के बुलाने पर जोर से तथा अविनय से कहे कि " क्या कहते हो ?" २२. गुर्वादि 'कहे - 'हे शिष्य ! यह काम (वैयावच्चादि) तेरे लाभकारी है, इसे कर, तब कहे कि - 'यदि लाभकारी है, तो आप ही क्यों नहीं कर लेते' २३. शिष्य, बड़ों के साथ कठोर कर्कश भाषा बोले । २४. शिष्य, गुरुजन के साथ वैसे ही शब्द बोले, जैसे गुरुजन शिष्य के साथ बोलते हैं।
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