Book Title: Tran Prachin Gujarati Krutio
Author(s): Sharlotte Crouse, Subhadraevi
Publisher: Gujarat Vidyasabha

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Page 39
________________ सुरूप सो म आदिमो चिंतामणि नमो नमो। जगत्र त्राण लाङमो से री सो पास लोड णो ॥३४॥ श्री पा स स हि स, न व फणो अंव ति, इ डरे थुणो। का सी-वासी, क र हाट को अमित्र अंगे चाटको ॥३५॥ क लि कुंड, कुर्क टे स रो, म ग सीपास, श्री पुरो। अहिच्छत्र को, ना ग द्र हो श्री मथुरो, राजग्रहो ॥३६।। जे सल्ल मे रि जाणीउ, ना गोर सो वखाणीउ। गंभी रो गिरिपुरो भणीउ दारिद्र मूलथी खणीउ ॥३७।। अशोकलोक अल व रे रावण आण सिर धरे। फलु धी ई आसा पली, सो डिल्ली इ खुला वली॥३८॥ पी रोज पुर भो य णो अमी अनंत लोयणो। श्री पास जी आरा सणो, गुडीचो गांमे चोढणो ॥३९॥ बीराजे रणथं भरे, मंडो वरो जोधपुरे । ग्वा ले र, बी का ने र को, जालु हुर, पुर हमीर को ॥४०॥ ज वा स, साग वाट को, कुक न्न, क ली कोट को। चुपट्टम ल्ल साय को, जिणंद मूलनायको ॥४१।। पूर्वछायो॥ नायक नमो निरंजन, अंजनगिरि छबि नील । पास जिणेसर पुजीइ, ति मरी त्रिभुवन टील ॥४२॥ रूपक मुत्तीदाम छंद ।। (तुरंगम आयु समालहु कीजई इत्यादि ।) गुण टील स मीण ही, पाल विहार, दी वे चु देव, दाहीद्रोसार। आ णी झू ऊंबर वाडी य नाम, म हे वा-नाथ, ना को डो-स्वाम॥४३॥ मे ड ती यो पास नमो परमेस, गोद डी उ गाले सर्व कलेस।

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