Book Title: Tran Prachin Gujarati Krutio
Author(s): Sharlotte Crouse, Subhadraevi
Publisher: Gujarat Vidyasabha
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११४ ब. मूर्ति च थापी; अ. परेशानो । ब. परम इसो; अ. परोभाणो, ब. परमभाणो; अ. परप्रांणो.-.-.
११५ अ. अमृत सिधी, ब. पीयुष सिद्धि; अ. सदासीव, ब. सदासिव; अ. ब. संभु; अ.क्षेत्रप्रधीसो, ब.क्षेत्र पछीनी पा सुप्त छ.
११६ अ. ब. सहकलो; अ. निकलो, ब. निक्कलो.
११७ अ. ब. प्रमहंसो; अ. व्योम आकार, ब. व्योम आकार; अ. रूपतृतियोमयो, ब. रूपतृतीयमयो.
११८ अ. पमद्रष्टी, ब. परमद्रष्टी; ब. शांतानिद्धानो; अ. परम अक्षरो वक्तो, ब. परम अक्षरो अव्यक्तो.
११९ अ. ब्रह्मदयेशो। ब. ब्रह्मद्वयेसो; अ. ब. देवोमयी.१२० अ. ब. तीर्थोमयो; अ. मनधेयोथ; ब. सोष्य -... १२२ अ. भक्ति, ब. भुक्त; अ. मया; ब. पदामावती, सहीय -
१२३ ब. क्षुद्र घटे; कि तुं स्तंभय २ क्षुद्र घटे; अ. दारीद्र चूरं, ब. दारीद्र दूरं.
१२४ ब. मायाक्लिंकारयुक्तं; अहं सुषं दीइं जप्तं.
१२५ ब. तुज नाम; कहीने वषाण्यु; ब.मात्री २२९ निम्नसिमित छ—कि तुं तिण करी मुज सदा सफल जाणुं.
१२६ ब. वीनव्यो, अ. बालू आबोल; मही ग्रही.१२७ ब. भेटिइ भक्तने; दीजे.-. १२८ अ. कवीत षट्पद [कवीत्वानी]; ब.अथ षटपद केवित्तानी१२९ अ. पार (दास) गुण; वहके; कपुर; अ. करपुर; अषे.१३० अ.मंगल महिम पास छंद, ब.मंगल दिवस छंद पास.१३१ अ. प्रहतिक्ष्य; ब. परतष्य; ब. संषेस्वर.--
१३२ ब. संषेस्वर; अ. रूद्र, ब. विरुद; ब. कामित; अ, पुरसोतम; अ. भाणू, ब. भाणु; अ. सीध्य.
पु४ि-अ-इति श्री विविध छंदो निबंध श्री संखेस्वर पाच૧ આ શબ્દ કિનારી પર લખેલ છે. २ 'पार' ५७। 'सार' २२५६ रिताला या छ; 'सार' जिना ५२ छे. 3 'मंगल' ५छ। 'करण' रितात दा२॥ या छे.

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