Book Title: Tran Prachin Gujarati Krutio
Author(s): Sharlotte Crouse, Subhadraevi
Publisher: Gujarat Vidyasabha

View full book text
Previous | Next

Page 55
________________ बोबडोदो, बलोलीयो, बाहडमेर जाणु, बलाजो स्फुरावीय, बिहरीय वषाणु। बलोलो, बावो, बीरोजो, बाहुली, बोहो, बाहाधरपुरण, बनथली, वीलवाणी मोहो ।।१३।। रावण, रोगहर, रंगरोल, रवितेज जाणुं, रपडी, रामो, रोडक, रणथंभ वांणु। रंगकरि नि विघनहर, रतन-भूषण गास्युं, रतनाकर, राणो, षेमकर, घेवडीयो धास्युं ॥१४!! षसषस, षीमो, परहडी, पास-पास नमीजे, षेतलवसही, षेडकर, गजगपुर प्रणमीजे। गोषास, गोमुष, गाडरी, गहुआलो, गंगाहर, गोमट, गोपावलु, घुमलीय, घीयो सुषकर ॥१५॥ घोतकलोल राज, धरणीधर, धर्मधज जिनराज, धर्मचिंतामणी थुणा मती धीणोजो आज। तिमरी, तिलगाणो, तेजलपुर, थंभण, थीर कहीय, धीणोधो, नि धालनेर, फलविधी सुष लहीय ।।१६।। फलभर, फलोधो, फरस फण, तीन फणो जाणुं, तीलो लीयो जिन तेरफणो, देलवाडि वषाणुं । डबोही, डाकर, डोडीयाल, डमरूं, डुंगरपुर, डुषषंडण, डाकी, ढढेर, डीकपुरण नमि सुर ॥१७॥ ढाल ('म म क म म करु देवर आणो अमे नही ते वाली रे' ए देशी) छत्रालो छखपूरण, छीछली, छान, छायापुर राजिजी, छावठी, छायागिर, ईडर, ईदोडो जिन गाजिजी। कोको, कलीकुंड, कनक, कठोली, कामसेरी, कोठारोजी, कणक, कंबोइ, करहडो, केश्रीसी, कलालो, कनडी दुषवारोजी ।।१८।। करकु, कमल, कुंडण, कडेसर, कुंभपुर, कामीत-पुरणजी, कापडीयो, करणपुरी, कुंकण, कोलीयो, करकटेस, दुष-चूरणजी।

Loading...

Page Navigation
1 ... 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114