Book Title: Tran Prachin Gujarati Krutio Author(s): Sharlotte Crouse, Subhadraevi Publisher: Gujarat VidyasabhaPage 53
________________ २. त्रणसो पांसठ पार्श्व-जिन-नाम-माला श्री-प्रेमविजय-कृत (सं. १६५५) ढाल (आदीश्वर–वीवाहलानी "माई धन सुपन नु धन जीवी तोरी आज' ए देशी) श्री सरसति, मुझ मति आपी, पूरो आस, नाम-ग्रहण करेस्युं त्रिण सि पांसठि पास । संषेधर, संतु, सीधुओ, चंद्रषेण राय, सविनो, सुषदायक, सामलो प्रणमुं पाय ॥१॥ सुषविलास, समी. जो सुषसेन, संडेरो देव, सत सतफणो, सेरीसो, सीरोडी करूं सेव । संभेरो, सवेलो, संकट हरि, सीह-पास, समीयाणी, सोवनगिर, सहसफणो पुरि आम ॥२॥ श्री सोम-चिंतामणि, सोपारो, सोवक सार, सुंडालो, साहिब, सारमंगा उदधि पार । सीसोद्यो, सांमता, सोझीत, सिंघपूरि चंग, सीघल-दीप, सुराउर, सुबुध पुजु रंग ॥३॥ पचासर, पावो, पालविहार, पुंडरीक, पातो, पदमावती, पाली, पंचनद व छेक । पारकर, पोसीनो, पंचफणो, पांचाल, पंषरूपी, पाडो, पीवीवाडो, पानोरो, वीसाल ॥४॥ नारंग, नवरंगी, नरहडो, नवपंड, नीलकंठ, नवनील, नवपलव अपंड। नगरकोट, नागद्रह, विश्वचितामणि रंग, नागफणि, नवसरि, विश्वस्वामी करू संग ।।५।। नीमोजो, नलोडो, नागीसेत चोमुख, नवनिधान, नगीनो नीमोडो दि सुष ।Page Navigation
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