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विज्ञानी (भा
देवकालीन शिखर श्री नेमिनाथ जिनालय - नवानगर
द्वारा द्वारिका नगरी में पूजित थी । काल के प्रभाव से श्री द्वारिका नगरी ध्वंस होने के कारण यह प्रतिमा कई काल तक समुद्र में देवों द्वारा पूजित रही । जो पुण्य के प्रभाव से महेणशेठ को प्राप्त हुई है। यह प्रतिमा प्रभु के गणधर द्वारा घर दहेरासर में प्रतिष्ठित रहने के कारण अब भी उसी आकार के मन्दिर में रहेगी । इस चमत्कारिक घटना से खुश होकर मेहणशेठ ने उसी आकार के मन्दिर का निर्माण करवाकर आचार्य भगवंत श्री धर्ममूर्तीसूरीश्वरजी के शुभहस्ते सं. 1648 माघ शुक्ला वर्षात पंचमी के शुभ दिन पुनः प्रतिष्ठित करवाया जो आज भी विद्यमान है। प्रभु प्रतिमा बहुत ही चमत्कारिक है आज भी कई चमत्कारिक घटनाएँ घटती रहती है। प्रभु प्रतिमा जीवित स्वामी के नाम से विख्यात है। प्रभु का जन्म कल्याणक महोत्सव श्रावण शुक्ला पंचमी को अतीव ठाठ पूर्वक मनाया जाता
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है, जिसमें हजारों जैन-जैनेतर भाग लेते है ।
अन्य मन्दिर इसके अतिरिक्त 15 और जिन मन्दिर हैं, जिनमें श्री वर्धमान शाह द्वारा सं. 1616 में निर्माणित श्री शांतिनाथ भगवान का मन्दिर व श्री रायशी शाह द्वारा सं. 1624 में निर्माणित श्री शांतिनाथ भगवान का मन्दिर (जो चौरीवालु देरासर के नाम से विख्यात है) बहुत ही विशाल व कलात्मक बावन जिनालय मन्दिर है ।
कला और सौन्दर्य यहाँ के मन्दिरों में विराजित प्राचीन प्रतिमाएँ अतीव सुन्दर व दर्शनीय है। हर मन्दिर का कलात्मक कार्य अपनी विशेषता रखता है। एक ही स्थान पर आये मन्दिर समूह का दृश्य दूर से ही मन्दिरों की नगरीसा प्रतीत होता है अतः इसे “ अर्धशत्रुंजय" महातीर्थ की उपमा दी गई है ।
मार्ग दर्शन यहाँ का जामनगर रेल्वे स्टेशन मन्दिर से लगभग 3 कि. मी. व बस स्टेण्ड लगभग 1 कि. मी. दूर है। स्टेशन से व शहर में सब तरह की सवारी का साधन है । मन्दिर व धर्मशाला तक कार व बस जा सकती है ।
सुविधाएँ
ठहरने के लिये सर्वसुविधायुक्त धर्मशालाऐं हैं, जहाँ भोजनशाला की सुविधा भी उपलब्ध है ।
पेढ़ी शेठ रायसी वर्धमाननी पेढ़ी, जैन देरासर चौक, चान्दी बाजार,
पोस्ट : जामनगर 361001 प्रान्त: गुजराज, फोन : 0288-678923.
धर्मशाला : 0288-555946, 679916.
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