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श्री महुवा तीर्थ
तीर्थाधिराज श्री महावीर भगवान, पद्मासनस्थ, श्वेत वर्ण, लगभग 91 सें. मी. (श्वे. मन्दिर) ।
तीर्थ स्थल महुवा गाँव के मध्यस्थ। प्राचीनता महवा का प्राचीन नाम मधुमती था. ऐसा प्राचीन ग्रन्थों में उल्लेख मिलता है । सेठ जावड़शाह, जिन्होंने विक्रम सं. 108 में श्री शत्रंजय तीर्थ का तेरहवाँ उद्धार करवाया, उनकी जन्मभूमि यही है । प्रभु वीर की प्रतिमा को जीवित स्वामी कहते हैं, जिसका उल्लेख चौदहवीं शताब्दी में उपाध्यायजी श्रीविनयविजयजी में 'तीर्थ माला' में किया है । तीर्थोद्धारक आचार्य श्री नेमिसूरीश्वरजी की भी जन्म व
स्वर्गभूमि यही है । यह स्थान शत्रुजय गिरिराज की पंचतीर्थी में आता है । इन सब से यह सिद्ध होता है कि यह अति ही प्राचीन तीर्थ स्थल है । इसका अन्तिम जीर्णोद्धार होकर पुनः प्रतिष्ठा विक्रम सं. 1885 माघ शुक्ला 13 को संपन्न हुई थी ।
विशिष्टता 8 शत्रुजय पंचतीर्थी का यह भी एक तीर्थ माना जाता है । यहाँ के तीर्थाधिराज प्रभु वीर की प्रतिमा को जीवित स्वामी कहते हैं, जो अन्यत्र बहुत ही कम जगह है । शासन प्रभावक सेठ जावड़शाह एवं तीर्थोद्धारक आचार्य श्री नेमिसूरीश्वरजी, आचार्य श्री विजयधर्मसूरीश्वरजी जेसे शासन सम्राटों ने यहाँ जन्म लेकर यहाँ का गौरव और भी बढ़ाया है ।
अन्य मन्दिर इस मन्दिर के अलावा 2 और मन्दिर है ।
श्री जीवितस्वामी मन्दिर-महुवा
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