Book Title: Tirth Darshan Part 3
Author(s): Mahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
Publisher: Mahavir Jain Kalyan Sangh Chennai

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Page 254
________________ अन्य मन्दिर इसके अतिरिक्त इस पहाड़ पर 31 मन्दिर और हैं । यहाँ एक गुफा है । कहा जाता है कि इसी गुफा में मुनिवर श्री गुरुदत्तजी ने कठोर तपस्या की थी । मुनिवर की चरण पादुकाएँ इस गुफा में विद्यमान हैं । तलहटी में दो मन्दिर हैं । कला और सौन्दर्य विविध प्रकार की जड़ी बूटियों युक्त इस सुरभि से सुगन्धित पर्वत पर, विभिन्न जिनालयों का अनुपम दिव्य दृश्य बड़ा ही अद्भुत सा लगता है । मार्गदर्शन 8 यहाँ से निकट के रेल्वे स्टेशन हरपालपुर 96 कि. मी. तथा सागर 103 कि. मी. है। यहाँ से निकट का गाँव बड़ामलहरा है जो छत्तरपुर-सागर रोड़ पर स्थित है । बड़ामलहरा से इस स्थान की दूरी 7 कि. मी. है । इन स्थानों से आटो, टेक्सी व बसों की सुविधाएँ उपलब्ध है । तलहटी तक पक्की सड़क है । तलहटी से पहाड़ की चढ़ाई 1 कि. मी. है । पहाड़ पर चढ़ने के लिए 150 सीढ़ियाँ बनी हुई है । यहाँ से छत्तरपुर 60 कि. मी. टीकमगढ़ 60 कि. मी., पपोराजी तीर्थ 56 कि. मी., अहारजी तीर्थ 51 कि. मी. व रेषन्दीगिरि तीर्थ 81 कि. मी. दूर है। सुविधाएँ तलहटी में ठहरने के लिए सर्वसुविधायुक्त धर्मशाला है, जहाँ पर भोजनशाला की भी सुविधाएँ उपलब्ध है ।। पेढ़ी 8 श्री दिगम्बर जैन सिद्ध क्षेत्र द्रोणगिरि ट्रस्ट, पोस्ट : द्रोणगिरि - 471 311. जिला : छत्तरपुर, प्रान्त : मध्यप्रदेश, फोन : 07689-52209 व 52206. श्री आदीश्वर भगवान-द्रोणगिरि श्री द्रोणगिरि तीर्थ तीर्थाधिराज श्री आदीश्वर भगवान, श्वेत वर्ण, पद्मासनस्थ, लगभग 61 सें. मी. (दि. मन्दिर)। तीर्थ स्थल द्रोणगिरि गाँव के निकट एक छोटे से पहाड़ पर, जिसे द्रोणगिरि सन्थप्पा भी कहते हैं । प्राचीनता पहाड़ पर स्थित अनेकों मन्दिरों और प्राचीन अवशेषों से ज्ञात होता है कि यह तीर्थ अति प्राचीन है जिसकी प्राचीनता का निश्चित पता लगाना कठिन है । विशिष्टता यह गुरुदत्त मुनिजी की तपोभूमि है । यहाँ पर उन्होंने कठोर तपस्या की थी । यहाँ पर यह किंवदन्ति भी प्रचलित है कि अयोध्यापति श्री राम व लंकापति रावण के बीच हुए युद्ध में घायल हुए श्री राम के अनुज श्री लक्ष्मण की प्राण-रक्षा के लिए भक्त शिरोमणि श्री हनुमानजी इसी पर्वत से संजीवनी बूटी ले गये थे । 730

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