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श्री कुण्डलपुर तीर्थ
तीर्थाधिराज 8 श्री आदिनाथ भगवान, (बड़े बाबा) लाल वर्ण, पद्मासनस्थ, (लगभग 15 फुट) । (दि. मन्दिर)।
तीर्थ स्थल तलेटी में बसे हुए कुण्डलपुर गाँव से लगे हुए कुण्डलाकर पर्वत पर ।
प्राचीनता तीर्थ बहुत प्राचीन है जिसकी प्राचीनता का पता लगाना कठिन है । यह भव्य चमत्कारिक प्रभु प्रतिमा भी लगभग पच्चीस सोह वर्ष पूर्व की मानी जाती है, जो सदियों से बड़े बाबा के नाम से विख्यात है । हर तीर्थ का समय-समय पर जीर्णोद्धार होता ही है उसी भान्ति यहाँ का भी जीर्णोद्धार वि. सं. 1548 में हुवा था, ऐसा उल्लेख है ।
वर्तमान में संतशिरोमणी प. पूज्य 108 आचार्य भगवंत श्री विद्यासागरजी म. सा. से प्रेरणा पाकर अभी पुनः भव्य जीर्णोद्धार कार्य प्रारंभ किया गया है ।।
विशिष्टता यह तीर्थ श्रीधर केवली का मुक्ति स्थान है । कहा जाता है कि वि. सं. 1142 में नन्दी संग के आचार्य प. पूज्य श्री पद्मनन्दीजी ने इसी क्षेत्र
में रहकर चूलिका सिद्धांतवृति की 1200 श्लोक प्रमाण की रचना की थी । प्रभु की गादी में दो शेर बने रहने के कारण पूर्व में कई पण्डित श्री महावीर भगवान की प्रतिमा मान रहे थे अतः पूर्व प्रकाशित तीर्थ-दर्शन में भी मूलनायक श्री महावीर भगवान बताया है । परन्तु उसी गादी में दोनों तरफ बने प्रभु के यक्ष-यक्षिणी के आयुध आदि का निरक्षण करने पर निश्चय हुवा कि श्री आदिनाथ प्रभु की प्रतिमा है। प्रभु प्रतिमा बहुत ही अतिशयकारी व सौम्य है जो यहाँ के ग्रामवासियों में बड़े बाबा के नाम से विख्यात है । यहाँ पर ग्रामवासी लोग एवं अन्य यात्रीगण हमेशा सैकड़ों की संख्या में बड़े ही भक्ति व श्रद्धा पूर्वक आते रहते है । यहाँ अनेकों चमत्कारिक घटनाएँ घटती रहती हैं । पद्मासन में इतनी प्राचीन भव्य श्री आदिनाथ भगवान की प्रतिमा संभवतः अन्यत्र कहीं नहीं है ।
अन्य मन्दिर इस मन्दिर के अतिरिक्त पहाड़ पर 46 और मन्दिर हैं तथा तलहटी में 18 मन्दिर हैं।
कला और सौन्दर्य बड़े बाबा की कलात्मक भव्य चमत्कारिक प्रतिमा का जितना भी वर्णन किया जाय, कम है । पहाड़ पर मन्दिर समूहों का दृश्य अति ही रोचक हैं । पहाड़ की तलहटी में एक विशाल वर्धमान सागर' नामक तालाब है जो इस स्थान की शोभा और भी बढ़ाता है ।
मन्दिर समुहों का अलौकिक दृश्य-कुण्डलपुर
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