Book Title: Tirth Darshan Part 3
Author(s): Mahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
Publisher: Mahavir Jain Kalyan Sangh Chennai

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Page 212
________________ कारण भक्त जन प्रभु को अमीझरापार्श्वनाथ भगवान कहने लगे। जब कुन्दनपुर गाँव सिन्धिया नरेश के अधीनस्थ हुआ, तब नरेश ने प्रभु की चमत्कारिक घटनाओं से प्रभावित होकर इस गाँव को भी अमझरा नाम से परिवर्तित किया। प्रभु कृपा से लम्बी अवधि के पश्चात् अभी-अभी दिनांक 21-9-2000 गुरुवार सायं 6 बजे से 11 बजे तक लगातार प्रभु के नयनों से अमी वृषा हुई जिसके प्रत्यक्ष दर्शनका लाभ 7-8 हजार भाग्यशालियों ने लिया । मालवे की पंचतीर्थी का यह भी एक मुख्य स्थान है । ___ अन्य मन्दिर वर्तमान में यहाँ पर इस मन्दिर के सिवाय दूसरा कोई मन्दिर नहीं हैं । कला और सौन्दर्य प्रतिमा असीम कलात्मक एवं सौन्दर्य के विविध तथ्यों से ओतप्रोत हैं । मार्ग दर्शन यहाँ से निकट का रेल्वे स्टेशन इन्दौर लगभग 88 कि. मी. की दूरी पर स्थित है । इसके निकट का गाँव धार 32 कि. मी. व मोहनखेड़ा तीर्थ 25 कि. मी. दूर है । इन स्थानों से बस व टेक्सी की सुविधाएँ उपलब्ध है। मन्दिर तक पक्की सड़क है । सुविधाएँ 48 ठहरने के लिए मन्दिर के निकट ही धर्मशाला एवं उपाश्रय है, जहाँ पानी और बिजली की सुविधाएं उपलब्ध है । पेढी श्री अमीझरा पार्श्वनाथ श्वेताम्बर मन्दिर, पोस्ट : अमझरा - 454 441. जिला : धार, प्रान्त : मध्यप्रदेश फोन : 07292-61444 पी.पी. 07292-32401 (राजगढ़ पेढ़ी) । शिखर का दिव्य दृश्य-अमीझरा श्री अमीझरा तीर्थ तीर्थाधिराज ॐ श्री अमीझरा पार्श्वनाथ भगवान, श्वेत वर्ण, पद्मासन की मुद्रा में लगभग साढ़े चार फुट (137 सें. मी.) (श्वे. मन्दिर)।। तीर्थ स्थल अमझरा गाँव के अन्तर्गत एक मोहल्ले में । प्राचीनता अमझरा का प्राचीन नाम कुन्दनपुर था । प्रतिमा पर अंकित लेख से ज्ञात होता है कि विक्रम संवत् 1548 माघ कृष्ण पक्ष के तृतीय दिवस को आचार्य श्री विजयसोमसूरिजी ने अपने सुहस्ते इस दिव्य व चमत्कारिक प्रतिमा की प्रतिष्ठा करवायी थी । _ विशिष्टता किसी समय भगवान की प्रतिमा से अमृत रूपी अमी असीम मात्रा में झरते रहने के 688

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